आगरा के कोरोना योद्धा को सलाम: कोविड-19 ने ली थी जान, सरकार ने दिए 50 लाख रुपये

Smart News Team, Last updated: Thu, 4th Jun 2020, 6:56 PM IST
  • एंटी रोमिया के चालक सतीश चंद की एक मई को कोरोना से मौत हो गई थी। आगरा के डीएम की रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने उनके खाते में 50 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए हैं। साथ ही उनके परिवार के एक सदस्य को पुलिस विभाग में नौकरी भी मिलेगी।
प्रतीकात्मक तस्वीर

आगरा, विशाल शर्मा

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में डॉक्टर, पुलिसकर्मी, मेडिकल हेल्थ वर्कर्स और मीडिया कर्मी जैसे तमाम कोरोना योद्धा डटे हुए हैं। अपनी जान की बाजी लगाकर ये कोरोना योद्धा कोविड-19 जैसी खतरनाक महामारी से जंग लड़ रहे हैं। कोरोना से जंग के दौरान कई लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। इन्हीं कोरोना योद्धाओं में एक नाम है सतीश चंद का, जिन्होंने ड्यूटी के दौरान कोरोना से अपनी जान गंवा दी। लॉकडाउन में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले एंटी रोमियो के चालक सतीश चंद को सरकार ने कोरोना शहीद का दर्जा दिया है और उनके परिवार को 50 लाख रुपये दिए हैं।

50 लाख रुपये की सहायता राशि और एक नौकरी

एंटी रोमिया के चालक सतीश चंद की एक मई को कोरोना से मौत हो गई थी। आगरा के डीएम की रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने उनके खाते में 50 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए हैं। साथ ही उनके परिवार के एक सदस्य को पुलिस विभाग में नौकरी भी मिलेगी। यहां जानना जरूरी है कि मृतकों के आश्रितों में एक नौकरी का नियम पहले से है। दरअसल, कोरोना संकट के बीच में कोरोना योद्धाओं को मौत होने पर 50 लाख रुपये देने की घोषणा की गई थी। यह धनराशि मुख्यमंत्री की उसी घोषणा के तहत मिली है।

पैसा उनकी कमी पूरा नहीं कर पाएगा

आगरा के एसएसपी बबलू कुमार ने कहा, 'इंसान की कोई कीमत नहीं होती। हम उसकी कीमत पैसों से नहीं चुका सकते। शहीद सतीश चंद के परिवार को कुछ भी दे दिया जाए मगर उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर पाएगा। यह धनराशि इसलिए दी गई है ताकि उनके परिवार के सामने कोई आर्थिक संकट न आए। शासन द्वारा स्वीकृत 50 लाख रुपये सतीश चंद्र के खाते में आ गए हैं। परिवार के सदस्य जैसे ही मृतक आश्रित के लिए आवेदन करेंगे, उस प्रक्रिया को भी जल्द पूरा करा दिया जाएगा। इस कार्य में भी ज्यादा विलंब नहीं लगेगा।

सरकार की अच्छी पहली की वाहवाही

शहीद सतीश चंद के परिवार को 50 लाख रुपये की सहायता राशि मिलने की घटना पर पुलिस कर्मियों का कहना है कि यह सरकार की अच्छी पहल है। लॉकडाउन से पहले यह घोषणा नहीं हुई होती तो मृतक सिपाही के परिजनों को कुछ नहीं मिल पाता। कम से कम अब उन्हें किसी के आगे हाथ तो नहीं फैलाने पड़ेंगे। उनकी पत्नी अपने बच्चों की जिम्मेदारी निभा सकेंगी।

पुलिस लाइन में सख्ती के निर्देश

इधर, सतीश चंद की मौत पर पुलिस महकमा भी हरकत में आ गया है। एडीजी अजय आनंद ने गुरुवार को प्रतिसार निरीक्षक को अपने कार्यालय में बुलाया। एडीजी ने उनसे कहा कि पुलिस लाइन में कंटेनमेंट जोन जैसी सख्ती रहनी चाहिए। बाहर से कोई अंदर नहीं जाएगा। अंदर से कोई भी बिना इमरजेंसी बाहर नहीं आएगा। पुलिस लाइन में कैंटीन है। उसी में सभी जरूरत का सामान मिलना चाहिए।

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पुलिस परिवार के सदस्यों को बता दिया जाए कि खरीददारी करने फिलहाल बाहर नहीं जाएं। लॉकडाउन एक तरह से खुल गया और बाजारों में भीड़ है। यह समय लॉकडाउन से भी ज्यादा खतरनाक है। सब्जी और फल भी पूर्व की भांति पुलिस लाइन में ही उपलब्ध कराए जाएं।

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