सरकार की मंशा को सिस्टम ने किया फेल, आयुष्मान योजना में कोरोना का इलाज बना ख्वाब

Smart News Team, Last updated: Sun, 5th Jul 2020, 9:41 AM IST
  • सरकार की मंशा को 'सिस्टम' ने ही फेल कर दिया है। आयुष्मान योजना के तहत कोविड संक्रमितों का इलाज अभी तक ख्वाब बना हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक नहीं दिए अस्पतालों का स्पष्ट दिशा- निर्देश।

सरकार की मंशा को 'सिस्टम' ने ही फेल कर दिया है। आयुष्मान योजना के तहत कोविड संक्रमितों का इलाज अभी तक ख्वाब बना हुआ है। किसी भी अस्पताल ने अभी तक एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया है। स्वास्थ्य विभाग ने भी शासन की इस इच्छा को फलीभूत करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं। ऐसे में गरीबों को अच्छा इलाज मयस्सर होना मुश्किल दिख रहा है।

आगरा जिले में कुल 1140 चिकित्सीय संस्थान पंजीकृत हैं। इनमें छोटे-बड़े अस्पताल, क्लीनिक और पैथोलाजी शामिल हैं। आयुष्मान योजना के शुरुआत में 49 अस्पताल इससे जोड़े गए थे। बाद में लगभग एक दर्जन अस्पतालों ने खुद को योजना से अलग कर लिया। संचालकों का कहना था कि इसमें भुगतान की प्रक्रिया बहुत जटिल है। मरीजों के तीमारदार एडवांस देते नहीं हैं। ऐसे में इलाज के साथ दवाओं का प्रबंध करना मुश्किल काम है। बीच-बीच में तमाम दूसरे अस्पताल भी योजना से खुद बाहर आ गए हैं। अब चुनिंदा अस्पताल ही आयुष्मान से सम्बद्ध हैं।

बीते दिनों शासन ने इन अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। सभी अस्पताल अपनी सुविधा के मुताबिक इलाज कर सकते हैं। भुगतान सरकार करेगी। खास बात यह कि शासन ने इलाज के रेट भी तय कर दिए हैं। कोविड-19 मरीजों के इलाज को चार श्रेणियों में बांटा गया है। इसी के मुताबिक प्रतिदिन के हिसाब से इलाज के रेट तय किए गए हैं। अफसोस की बात यह है कि अभी तक किसी अस्पताल ने इस योजना में कोविड मरीजों के इलाज में रुचि नहीं दिखाई है। शासन की मंशा परवान चढ़ते दिखाई नहीं दे रही है।

ढीला साबित हुआ स्वास्थ्य विभाग

शासनादेश को आगे बढ़ाने में स्वास्थ्य विभाग ढीला साबित हुआ है। विभाग ने अभी तक आयुष्मान योजना से सम्बद्ध अस्पतालों की सूची सार्वजनिक नहीं की है। ऐसे अस्पतालों के बाहर कोविड इलाज की सुविधा की जानकारी देने वाले बैनर या साइन बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। ताकि मरीजों को आसानी से पता चल जाए। विभाग ने अस्पतालों पर किसी तरह का कोई दबाव भी नहीं बनाया है।

कोविड-19 से घबराए हैं निजी अस्पताल

आगरा में कोविड की शुरूआत के बाद कुछ अस्पतालों के डाक्टर और स्टाफ संक्रमित हो गए थे। इसके बाद प्रशासन ने अस्पतालों को सील कर दिया। डाक्टरों पर मुकदमे लिखे गए। अस्पतालों को उन्हीं के लिए क्वारंटाइन सेंटर बना दिया गया। करीब डेढ़ महीने तक यही ड्रामा चलता रहा। इससे अस्पतालों का काफी नुकसान हुआ। डाक्टरों की छवि भी खराब हुई। लिहाजा संचालक इससे डरते हैं।

इलाज का खर्चा आंकड़ों मे

जनरल वार्ड:- 1800 रुपए प्रतिदिन

हाई डिपेंडेंसी यूनिट:- 2700 रुपए प्रतिदिन

आईसीयू बिना वेंटीलेटर:- 3600 रुपए प्रतिदिन

आईसीयू विद वेंटीलेटर:- 4500 रुपए प्रतिदिन

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