आगरा: गांव वालों ने कोरोना को ऐसा भगाया कि लौटकर न आया, जानें कैसे जीती जंग
- आगरा में अब भी कोरोना वायरस का कहर जारी है। मगर राहत की बात यह है कि शहरी लोगों के मुकाबले ग्रामीण इलाके के लोग कोरोना वायरस से जंग मजबूती के साथ लड़ रहे हैं।
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आगरा में अब भी कोरोना वायरस का कहर जारी है। मगर राहत की बात यह है कि शहरी लोगों के मुकाबले ग्रामीण इलाके के लोग कोरोना वायरस से जंग मजबूती के साथ लड़ रहे हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में शहरी लोगों से गांव वाले ज्यादा समझदार साबित हो रहे हैं। आगरा मंडल के एक दर्जन गांवों में कोरोना संक्रमण के चलते जिंदगी थम सी गई थी, मगर एहतियात बरते जाने के कारण पिछले एक माह से इन गांवों में कोई कोरोना पॉजिटिव केस नहीं मिला है। अब यहां दूध-सब्जी के कारोबार ने भी रफ्तार पकड़ ली है।
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दरअसल, मार्च और अप्रैल महीने में ताजनगरी के शहरी इलाकों में तेजी के साथ कोरोना के पॉजिटिव केस मिले थे। मई महीने में ही दूसरे राज्यों से श्रमिकों के आने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोरोना के संक्रमित केस मिलने शुरू हो गए। मई के आखिरी सप्ताह में जिले के एक दर्जन गांवों में हॉटस्पाट बना दिए गए। लोगों का निकलना मुश्किल हो गया। एक-एक गांव से 20-20 कोरोना संक्रमित केस निकले। जून के शुरू में भी गांवों में कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़ गई। फिलहाल, जिले में कुल 84 कंटेनमेंट जोन में ग्रामीण क्षेत्रों में 28 सक्रिय हैं।
इसके अलावा, बरौली अहीर के ब्लॉक ककुआ, इरादतनगर के मुबारकपुर, बाह के गढ़ी पचौरी, फतेहबाद के गढ़ी उदयराज, शमसाबाद के ग्राम पुरा इमली और खंदौली ब्लॉक के हसनपुरा में गांव वालों की सतर्कता के चलते पिछले एक माह से कोरोना का एक भी संक्रमित केस नहीं मिला है। गांव वालों ने इन इलाकों में पंचायत कर बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी। साथ ही किसी भी व्यक्ति के बाहर जाने पर भी रोक लगा दी। प्रशासन द्वारा भेजी गई दवा को सभी लोगों ने सेवन किया। स्वयं गांवों को सैनिटाइज कराया। इसके चलते कोरोना संक्रमण का इन गांवों में अब कोई असर नहीं दिख रहा है।
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लॉकडाउन के समय दूध और सब्जी बिक्री का काम पूरी तरह से प्रभावित हो गया था, मगर अब इन गांव के लोगों की जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आई है। ककुआ निवासी राम सजीवन का कहना है कि उनके गांव में सभी ने प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पूरा पालन किया। हसनपुर गांव के सोबरन सिंह बताते हैं कि पहले गांव में एक ही परिवार के एक दर्जन से ज्यादा लोग संक्रमित मिले थे। बाद में कोरोना के लिए बताईं गईं सावधानियों का सभी ने पालन किया तो अब संक्रमित केस नहीं मिल रहे हैं।
जानें गांव वालों को कैसे मिली कोरोना से लड़ाई में सफलता
- ग्रामीणों ने बाहरी लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया।
- बाहर से आए श्रमिकों को स्कूलों में ठहरवा दिया।
- स्वयं खाना बनवाकर इन श्रमिकों को वहां तक पहुंचाया।
- गांव में सेनेटाइज खुद भी करवाया, प्रशासन की भी मदद की।
- प्रशासन द्वारा बताए गए नियमों का पूरी तरह से पालन किया।
- लॉकडाउन में कहीं भी भीड़ नहीं एकत्र होने दी गई।
- प्रशासनिक अधिकारियों की हर बात पर किया अमल।
कड़ी मेहनत से भी बात बनी
गांव वालों ने खेतों में काम किया। खूब पसीना बहाया। उनकी प्रतिरोधक क्षमता अन्य लोगों से ज्यादा हो गई। खानपान साधारण ही रहा। बाहर की चीजों का सेवन न करने से भी काफी असर पड़ा।
लगा दिए थे बैरियर
कुछ गांव वालों ने तो श्रमिकों के प्रवेश करने को लेकर बैरियर ही लगा दिए थे। फिर प्रशासन को इन लोगों को स्कूलों में ठहरवाना पड़ा। जब 14 दिन पूरे हो गए, उनकी दोबारा से जांच हो गई, तभी उनको गांव में प्रवेश दिया गया।
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