ताजनगरी को जून पड़ा महंगा, जुलाई में भयावह हो सकता है कोरोना, आंकड़ों में जानें
- ताजनगरी को कोरोना काल के तीन महीनों में जून सबसे महंगा पड़ा है। सबसे अधिक मौत इसी महीने हुई हैं। जबकि पिछले दो माह मिलाकर इतनी मौत हुई थीं। अब इससे भी बड़े खतरे की आशंका है।

ताजनगरी को कोरोना काल के तीन महीनों में जून सबसे महंगा पड़ा है। सबसे अधिक मौत इसी महीने हुई हैं। जबकि पिछले दो माह मिलाकर इतनी मौत हुई थीं। अब इससे भी बड़े खतरे की आशंका है। जुलाई में संक्रमितों की सर्वाधिक संख्या का अनुमान लगाया गया है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए यह महीना बेहद चुनौती भरा साबित हो सकता है।
अब जरा आंकड़ों की बात करते हैं। मार्च में कोरोना संक्रमितों की संख्या इक्का-दुक्का ही रही। इसमें सिर्फ विदेशों से लौटकर आने वाले शामिल थे। उनके सीधे संपर्क में आए लोग भी संक्रमित हुए। हालांकि इस माह इनकी संख्या सिर्फ 11 रही। अच्छी बात यह रही कि इस महीने किसी की जान नहीं गई। अप्रैल में यहां कोरोना बम फटे। संक्रमित थोक में सामने आए। 30 अप्रैल तक संक्रमितों की संख्या बढ़कर 469 तक पहुंच गई। इसी महीने से कोविड से मरने वालों की शुरूआत हुई। संक्रमण होने पर गंभीर और पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोग बचाए नहीं जा सके। मई में संक्रमण की हालत कमोवेश यही रही। कुल 430 मरीज सामने आए, लेकिन मौतों का आंकड़ा दोगुना हो गया। इस महीने कुल 28 लोगों की मौत हुई। यानि दो महीनों में कुल 42 लोग संक्रमण के चलते जान गंवा बैठे।
अब मौजूदा महीने की बात कर ली जाए। जून में जांच बढ़ने के दावों के बावजूद संक्रमितों की संख्या में गिरावट आई। शुक्रवार 26 जून तक यहां कुल संक्रमित 1184 हो गए हैं। मौतों की बात करें तो यह महीना आगरा पर खासा भारी पड़ा है। इस महीने अभी तक 285 संक्रमित आए, जिनमें से 43 लोग मौत के आगोश में चले गए। यानि तीन महीनों में यही एक महीना बहुत महंगा पड़ा है। तीन महीनों में जितनी मौत हुईं, इस माह उससे भी ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं।
कई एजेंसियों ने जताया खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन, आईसीएमआर समेत कई एजेंसियों ने भारत के लिए जुलाई का महीना सबसे महत्वपूर्ण बताया है। आगरा के लिहाज से बात करें तो अगर इस माह कम संक्रमित सामने आते हैं, साथ ही मौतों का आंकड़ा गिरता है तो तीन महीनों में कोरोना से आजादी मिल सकती है। स्वास्थ्य विभाग ने भी इसकी व्यापक तैयारियां कर ली हैं। इसके बावजूद सितंबर तक विभाग एक-एक मामले पर कड़ी नजर रखेगा।
निकलते रहेंगे इक्का-दुक्का मरीज
मान लीजिए जुलाई में संक्रमितों और मौतों का आंकड़ा शून्य हो गया। इसके बाद भी वायरस की चपेट में आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। तमाम सतहों पर वायरस लापरवाही बरतने पर संक्रमित कर सकता है। कुछ मरीजों में अगर यह लौटकर आता है, तब भी वह आगे संक्रमित करने में सक्षम होगा। यानि इक्का-दुक्का मरीज सामने आते रहेंगे, इस आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
गर्मी में भी थमे नहीं नए संक्रमित
तापमान बढ़ने पर कोरोना कम होगा। यह भ्रम अब दूर हो चुका है। यानि मौसम का कोई असर वायरस पर नहीं पड़ता है। अगर ऐसा होता तो मई में भीषण गर्मी झेलनी पड़ी थी। जबकि इस महीने बड़ी तादाद में नए मरीज सामने आए थे। जून में यह अस्पतालों तक पहुंचे और बड़ी तादाद में मौत का शिकार हुए। बारिश के सीजन में भी इसके कम होने के कोई आसार नहीं हैं। एहतियातन सजगता बढ़ाई जा रही है।
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