आगरा में तांडव मचा रहा कोरोना: घर में छुपे रहे मरीज और ऐसे बढ़ता गया संक्रमण

Smart News Team, Last updated: Sat, 11th Jul 2020, 10:25 AM IST
  • लॉकडाउन में भी कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़ता रहा और अब अनलॉक में भी दोगुनी रफ्तार से संक्रमित सामने आ रहे हैं।
आगरा में कोरोना का कोई खौफ नहीं दिख रहा लोगों में।

लॉकडाउन में भी कोरोना मरीजों का आंकड़ा बढ़ता रहा और अब अनलॉक में भी दोगुनी रफ्तार से संक्रमित सामने आ रहे हैं। इसमें स्वास्थ्य विभाग और उसके घटकों की लापरवाही भी शामिल है। सरकार ने बुखार, खांसी, जुकाम और सांस के मरीजों पर नजर रखने को कहा था। इनकी जानकारी जुटाने के आदेश दिए थे। दवा विक्रेताओं ने इसका पालन नहीं किया। ड्रग विभाग भी हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा।

सरकार ने अप्रैल में निर्देश जारी किए थे कि कोविड संक्रमण के लक्षण वाले सभी मरीजों का डाटा बैंक तैयार किया जाए। इसके लिए मेडिकल स्टोर संचालकों को निर्देश दिए गए थे कि वे एक रजिस्टर बनाएं। इनमें बुखार, खांसी, सर्दी, जुकाम, सांस की दवाइयां लेने वालों की जानकारी दर्ज की जाए। मोबाइल नंबर भी लिखे जाएं। बार-बार ऐसी दवाइयां खरीदने वालों पर विशेष निगाह रखी जाए। हर रोज इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी जाए। यह कवायद शुरू होते ही फेल हो गई। सरकार ही इसका प्रबंधन नहीं कर पाई। ड्रग विभाग भी नजर नहीं रख पाया। मई में भी इसी तरह का शासनादेश जारी हुआ। इसके बाद जून में भी निर्देश आए। इसमें मेडिकल स्टोर संचालकों को हर शाम पांच बजे इसकी जानकारी ऑनलाइन देने को कहा गया।

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सूत्रों की मानें तो थोक और फुटकर विक्रेताओं में शायद ही किसी बिरले ने ऐसा रजिस्टर बनाया होगा। ऑनलाइन जानकारी की तो बात ही छोड़ दीजिए। इस मामले में भी जिले के दवा विक्रेताओं ने कोई रुचि नहीं ली। विक्रेताओं की एसोसिएशन ने कोशिश की थी लेकिन स्टोर संचालकों ने ध्यान नहीं दिया। ड्रग विभाग ने कुछ किया ही नहीं, जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।

दवा ले जाने वालों की होनी थी स्क्रीनिंग

बुखार, खांसी, जुकाम की दवा ले जाने वाले मरीजों की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग का काम शुरू होना था। विभाग की टीमों को उनके घर जाकर स्क्रीनिंग करनी थी। यह काम सर्विलांस टीम और कोविड रेस्पांस टीम को करना था। सेहत ठीक निकली तो अच्छा, दिक्कत होने पर अस्पताल लाया जाना था। यहां कोविड टेस्ट कराया जाना था। रिपोर्ट आने तक संदिग्ध को अस्पताल में रखने की योजना थी। यह सामुदायिक संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किया जाना था। लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं सका। संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती रही।

घर में छुपे रहे और फैलाते रहे संक्रमण

सरकार की मंशा थी कि संक्रमित लोग जल्दी बाहर आएं। ड्रग विभाग की सुस्ती या खामोशी से ऐसा हो नहीं सका। मेडिकल स्टोर्स का निरीक्षण नहीं किया गया। यही कारण है कि शासन से भी आगरा को ऐसा कोई डाटा प्राप्त नहीं हुआ। अन्यथा अब सामने आ रहे मरीज बहुत पहले संज्ञान में आ सकते थे। यह लोग खुद तो संक्रमित हुए ही, जहां भी गए संक्रमण फैलाते रहे। यही कारण है कि आधा शहर सील होने के बाद भी संक्रमण विस्तार लेता रहा।

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4.79 प्रतिशत मरीज, 6.70 मृत्यु दर

90 दिन का लॉकडाउन और अब अनलॉक-1 और अनलॉक-2 के बाद भी स्थितियां बिगड़ती जा रही है। शुक्रवार सुबह तक 28,294 कोविड टेस्ट हुए हैं और इनमें से 1357 मरीज सामने आए हैं। यानि कुल 4.79 प्रतिशत लोग संक्रमित हुए हैं। 91 लोगों की मौत हो चुकी है। इस लिहाज से मृत्यु दर में कुछ कमी आने के बाद यह प्रतिशत 6.70 हो गया है। ठीक होकर घर जाने वालों की संख्या 1099 हो गई है। यानि इनका प्रतिशत अब 80.99 हो गया है। शुक्रवार सुबह तक के आंकड़ों के मुताबिक 167 मरीज जिले के विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।

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