कोरोना मरीजों के लगातार झूठ बोलने से बढ़ रहा है आगरा में कोविड-19 खतरा
- कोरोना संक्रमितों के झूठ बोलने से लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। सैंपल देते समय गलत पता और मोबाइल नंबर लिखाने से काफी दिक्कतें आ रही हैं।

कोरोना संक्रमितों के झूठ बोलने से लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। सैंपल देते समय गलत पता और मोबाइल नंबर लिखाने से काफी दिक्कतें आ रही हैं। रेस्क्यू टीम को मरीजों को लाने में परेशानी का तो सामना करना ही पड़ता है। साथ ही संक्रमितों के तब तक अस्पताल या घर पर रहने से अन्य लोगों को भी खतरा बना रहता है। दरअसल, सैंपल देने वालों से लेकर लेने वालों का भी उतना ही दोष है। सैंपल लेने वाले कर्मचारियों को पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद ही आगे की कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसके बाद में संक्रमित केस आने पर रेस्क्यू टीम को इन्हें तलाशने में दिक्कतें होती हैं। रेस्क्यू टीम के कई घंटे इसी काम में खराब होते हैं।
जब तक रेस्क्यू नहीं, तब तक खतरा
जब तक संक्रमित मरीज को रेस्क्यू नहीं कर लिया जाता है। तब तक उसकी मौजूदगी वाले स्थान पर अन्य लोगों को खतरा बना रहता है। कुछ अस्पतालों में भी इसी तरह के मामले सामने आए। उनके यहां इलाज चलता रहा और सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इतने समय तक अन्य मरीजों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा।
ऐसे तलाशा जाता है
रेस्क्यू टीम को सही जानकारी न होने पर पहले उसे सैंपल लिए जाने वाली लैब से संपर्क करना पड़ता है। यदि पते के अलावा अन्य कोई जानकारी मिल पाती है तो उसे एकत्र कर उस पर काम होता है। वहां से ये भी पता करने की कोशिश होती है कि सैंपल वाला व्यक्ति किस हास्पिटल से आया था। वहां जाकर पूछताछ करनी होती है। अन्यथा सर्विलांस टीम की भी मदद ली जाती है।
जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने कहा कि सैंपल देने वाले लोग पता और मोबाइल नंबर ही गलत लिखवा देते हैं। काफी कोशिश की जा रही है कि ये सारी चीजें सहीं दर्ज हों, जिससे रेस्क्यू टीम को संक्रमित लोगों को घर या अस्पताल से लाने में दिक्कत न हो। अप्रैल में काफी दिक्कतें सामने आईं थीं। अब डाटा अलग से तैयार कराया जा रहा है। सैंपल देने वाले सही पता और मोबाइल नंबर दर्ज कराएं, इसके लिए सैंपल लेने वालों को भी निर्देश दिए गए हैं।
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