कोरोना नामक बारूद के ढेर पर है ताजनगरी, नहीं संभले तो होगा बड़ा विस्फोट
- ताजनगरी कोरोना नामक बारूद के ढेर पर है। एक चिंगारी इसे विस्फोट में बदल सकती है। आईएमए समेत कई संगठनों के मुताबिक देश में अब कम्युनिटी स्प्रैड है। यानि कोविड के मामले अब तेजी से बढ़ेंगे।
ताजनगरी कोरोना नामक बारूद के ढेर पर है। एक चिंगारी इसे विस्फोट में बदल सकती है। आईएमए समेत कई संगठनों के मुताबिक देश में अब कम्युनिटी स्प्रैड है। यानि कोविड के मामले अब तेजी से बढ़ेंगे। आबादी के लिहाज से आगरा में इलाज के इंतजाम मामूली हैं। ऐसे में अगर हालात बिगड़े तो मरीजों के लिए अस्पताल नहीं मिलेंगे। यानि लोगों को खुद ही वायरस से बचना होगा। लापरवाही के नतीजे भयावह हो सकते हैं।
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आगरा देश में कोविड के सबसे पहले संक्रमित होने वाले शहरों में से एक है। यहां दो मार्च को पहले पांच मामले सामने आए थे। पहले सिर्फ बाहर से आए लोग ही कोविड लेकर आए। इनमें डाक्टर भी शामिल थे। डाक्टरों से मरीजों में फैलाव हुआ। रही कसर दिल्ली से आए जमातियों ने पूरी कर दी। इसके बाद शहर से देहात तक में कोविड पैर पसारता रहा। यह सिलसिला लगातार जारी है। आंकड़ों की बात करें तो सिर्फ मार्च में ही कोविड के मामले सबसे कम थे। इस माह 12 लोग संक्रमित पाए गए थे। अप्रैल में रफ्तार बढ़ी तो वह अभी तक कायम है। मई से जून तक हर महीने 400 के आसपास मरीज आते रहे हैं। जून में सबसे अधिक मौत भी हुई हैं। बात जुलाई की करें तो 13 जुलाई तक शहर में प्रतिदिन संक्रमितों का औसत 12 के आसपास था। 14 जुलाई से लेकर अब तक यह बढ़कर 14.4 मरीज रोज हो गया है। यानि मरीज स्थिर हो गए हैं मगर महीने का ग्राफ कम नहीं हो रहा। अब अनलॉक का समय बढ़ाया जा रहा है। रात नौ बजे तक बाजार खोले जा रहे हैं। यानि अधिक लोग बाहर निकलेंगे। एक-दूसरे के संपर्क में आएंगे। जाहिर है कि इससे संक्रमण की शृंखला और बढ़ेगी। विशेषज्ञ भी इससे इनकार नहीं कर रहे।
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हर्ड इम्युनिटी के बाद ही विदा होगा
अगर यह कम्युनिटी ट्रांसमिशन है तो वायरस हर्ड इम्युनिटी से ही विदा होगा। यानि जिस वायरस के लिए कोई टीका या दवाई नहीं होती, वह इसी तरह खत्म होता है। इस दशा में 60 से 70 प्रतिशत आबादी संक्रमित हो जाती है। कुछ मरीजों की मृत्यु होती है, अधिकतर ठीक हो जाते हैं। शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं। इसके बाद वायरस असर नहीं करता है। तीसरी स्टेज के बाद संक्रमण इसी तरह विदा होता है।
आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ेंगे मरीज
तीसरी स्टेज शुरू होते ही आश्चर्यजनक रूप से संक्रमण पैर पसारता है। जिन इलाकों में संक्रमण खत्म हो चुका होता है, वहां भी लौट आने की आशंका रहती है। अधिकतर मामलों में यह लौट आता है। कम रफ्तार वाले इलाकों में मरीजों की बाढ़ आ जाती है। लखनऊ इसका उदाहरण है। ऐसी हालत होने पर अचानक से मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था, गंभीरों के लिए वेंटीलेटर, डायलिसिस का प्रबंध करना मुश्किल हो जाता है।
क्या है कम्युनिटी ट्रांसमिशन
यह तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी संक्रमित के संपर्क में आए बिना या संक्रमित देश की यात्रा किए बिना इसका शिकार हो जाता है। यह संक्रमण का तीसरा स्तर माना जाता है। इसके बाद बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। आईसीएमआर के अनुसार कोरोना वायरस फैलने के चार चरण हैं।
पहला:- इसमें वे लोग वायरस से संक्रमित पाए गए, जो दूसरे देश से संक्रमित होकर देश में आए। यह स्टेज पार हो चुकी है। ऐसे लोगों से यहां भी संक्रमण फैल चुका है।
दूसरा:- इसमें स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैलता है। विदेश यात्रा करके लौटे लोगों के संपर्क में आने के बाद इन्हें संक्रमण लग जाता है। आगरा में भी ऐसे मामले हो चुके हैं।
तीसरा:- यह चरण कम्युनिटी ट्रांसमिशन कहलाता है। इसमें संक्रमण लगने के स्रोत का पता लगाना मुश्किल होता है। इसी कारण ऐसे लोगों की कांटेक्ट सर्विलांस नहीं हो पाती है।
चौथा:- किसी-किसी महामारी का चौथा चरण भी होता है। जब संक्रमण स्थानीय स्तर पर महामारी का रूप ले लेता है। मरने वालों की तादाद भी बहुत अधिक हो जाती है।
कितना तैयार है आगरा
सरकारी अस्पताल में एल-3 श्रेणी के बेड:- 200
निजी अस्पतालों में एल-2 और एल-3 बेड:- 240
सभी माध्यमों में एल-1 सुविधा वाले बेड:- 3560
कुल मिलाकर आगरा में कोविड के बेड:- 4000
अब तक की स्थिति
रविवार रात तक कुल संक्रमितों की संख्या:- 1501
आगरा में अब तक कोविड मरीजों की मृत्यु:- 94
अब तक ठीक हुए मरीजों की संख्या:- 1245
सभी स्तरों पर हुई सैंपलिंग का आंकड़ा:- 35000
ठीक होने वाले लोगों का प्रतिशत:- 82.94
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ अरविंद जैन का कहना है कि आगरा में सब हवा-हवाई है। 45 लाख की आबादी में सिर्फ 35 हजार टेस्ट हुए हैं। बिना लक्षणों वाले मरीजों को कैसे पहचानेंगे। वे संक्रमण फैलाएंगे और पुराने बीमारों को गंभीर करेंगे। यह बात सरकारी सिस्टम को समझ में नहीं आती। खुद टेस्ट कर नहीं रहे, निजी लैब के टेस्ट गलत बताते हैं। लाखों की आबादी में सरकारी अस्पतालों में सिर्फ दो दर्जन वेंटीलेटर हैं। एल-3 श्रेणी के मरीजों के लिए सिर्फ 200 बेड हैं। निजी अस्पतालों को भी तैयार किया नहीं जा सका है। संक्रमण बढ़ेगा तो आगरा में हालात काबू से बाहर हो जाएंगे।
सेल्सा के अध्यक्ष डॉ. सुनील शर्मा का कहना है कि अभी तक तो सब ठीक है। लेकिन आगे यह संक्रमण बढ़ेगा। तब हालात खराब हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण लोग खुद हैं। वे बहुत बड़ी लापरवाही कर रहे हैं। आखिर इसे फैलाने में सिर्फ वही तो जिम्मेदार हैं। लक्षणों को छुपा रहे हैं। हालात बिगड़ने पर अस्पताल आते हैं। ऐसे में उन्हें बचाना मुश्किल होता है। तब तक वे तमाम लोगों को संक्रमित कर देते हैं। मास्क लगा नहीं रहे, दूरी का भी पालन नहीं हो रहा, परीक्षण भी करा नहीं रहे हैं। कोविड की अभी तक कोई दवा बनी नहीं है। जनता को डरना चाहिए, तभी बचाव हो पाएगा।
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