अगस्त बाद असली रंग दिखाएगा कोरोना! तापमान गिरा तो 7 गुना ताकतवर होगा
- ताजनगरी में खतरनाक कोरोना वायरस अभी कई रंग दिखा सकता है। जैसे ही तापमान गिरेगा, यह अधिक ताकतवर हो जाएगा। डाक्टरों की मानें तो अधिकतम तापमान के 36 डिग्री से कम होने पर यह सात गुना अधिक शक्तिशाली हो जाएगा।

ताजनगरी में खतरनाक कोरोना वायरस अभी कई रंग दिखा सकता है। जैसे ही तापमान गिरेगा, यह अधिक ताकतवर हो जाएगा। डाक्टरों की मानें तो अधिकतम तापमान के 36 डिग्री से कम होने पर यह सात गुना अधिक शक्तिशाली हो जाएगा। यानी कोोरना वायरस से संक्रमित मरीजों की हालत और भी अधिक खराब हो सकती है। उनमें दूसरों को रोग देने की क्षमता भी कई गुना अधिक हो सकती है।
आगरा में मॉनसूनी सीजन चल रहा है। अभी तक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। बीते दो दिनों से हुई हल्की बारिश के बाद यह 35 डिग्री के आसपास आ गया है। बारिश लगातार होती रही तो इस सीजन में ही तापमान 30 डिग्री के आसपास पहुंच सकता है। इसके बाद जनवरी तक पारा लुढ़कता रहेगा। यहां सबसे अधिक सर्दी दिसंबर और जनवरी में ही पड़ती है।
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2019 के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि यहां दिसंबर में अधिकतम तापमान 8.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया जा चुका है। जबकि इसी साल न्यूनतम तापमान 0.9 डिग्री तक दर्ज किया गया है। करीब छह साल पहले आगरा में न्यूनतम तापमान -1.0 डिग्री सेल्सियस तक जा चुका है। इस दौरान पेड़ों पर छाई ओर बर्फ बन गई थी। कई पार्कों में पेड़-पौधों की पत्तियों पर छाई बूंदें ठोस बर्फ में तब्दील हो गई थीं। यानी वायरस की शक्ति बढ़ने का दौर अब शुरू हो चुका है। मेडिकल साइंस पर लगातार शोध करने वाली कई एजेंसियों का मानना है कि 36 डिग्री से कम तापमान में वायरस की ताकत सात गुना तक बढ़ जाती है। इस लिहाज से देखा जाए तो जनवरी 2021 तक के छह महीने बेहद संवेदनशील हो सकते हैं। वायरस तेजी से बढ़ सकता है।
ताकत बढ़ेगी तो फैलेगा संक्रमण
मान लीजिए कि अभी निकल रहे संक्रमितों में अधिकतर ए-1 श्रेणी के हैं। यानि उमें किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। अगर इसकी ताकत बढ़ती है तो अधिकतर मरीज एल-2 श्रेणी में बदल जाएंगे। उनमें वायरस के लक्षण साफ दिखाई देंगे। जबकि पहले से किसी बीमारी से ग्रसित लोगों में भी इसका असर बढ़ जाएगा। एल-2 श्रेणी वाले मरीज अगली स्टेज पर पहुंच सकते हैं। इसी तरह मौजूदा स्थितियों में अगर एक संक्रमित 2.5 लोगों को रोग दे सकता है, ताकत बढ़ने पर वह इससे कई गुना अधिक लोगों तक संक्रमण का प्रसार कर सकता है।
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बढ़ सकती है रोगियों की मृत्यु दर
कोविड वायरस लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को लगातार कम करता रहता है। पुराने रोगियों में यह काम बहुत तेजी से होता है। दूसरा यह सांस की प्रक्रिया को बाधित कर देता है। तापमान गिरने पर यह दोनों काम वह कई गुना अधिक शक्ति से करेगा। ऐसे में गंभीर मरीजों को संभलने का मौका नहीं मिल पाएगा। अधिकतर मरीजों को तत्काल आक्सीजन या वेंटीलेटर की जरूरत पड़ेगी। संसाधन ठीक से काम नहीं आए तो मरीजों की मृत्यु दर बढ़ने का खतरा भी है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लगातार संसाधनों को बढ़ा रहा है।
सतह पर अधिक समय रहेगा जिंदा
इंसानी शरीर का तापमान करीब 37 डिग्री सेल्सियस होता है। किसी के संपर्क में आने पर ही संक्रमण लगता है। मानसूनी सीजन, सर्दी में किसी भी तरह पर रहने वाले वायरस के जिंदा रहने का समय बढ़ जाएगा। तापमान कम हो या अधिक, संक्रमण खांसने, छींकने, थूकने के कारण हवा में फैले ड्रापलेट से ही होगा। जमीन पर गिरने से गर्मी में कोरोना वायरस अगर दो दिन रहता है तो सर्दी में चार दिन तक रह सकता है। अभी तक के 90 फीसदी मामलों में संक्रमण का स्त्रोत सीधा संपर्क ही आया है। हालांकि कुछ मामलों में विज्ञानी हवा में भी फैलने की बात कहते हैं।
कोविड अस्पताल एसएमएनसी के नोडल अधिकारी डॉ प्रशांत गुप्ता ने कहा कि कई एजेंसियों की शोध रिपोर्ट में यह सामने आया है कि 36 डिग्री से कम तापमान में यह वायरस अधिक शक्तिशाली हो जाता है। अगर ऐसा है तो अगले छह महीने हमारे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। ऐसे में लोगों को बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। फिजीकल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई, मास्किंग, सेनेटाइजिंग, बार-बार हाथ धोने जैसे तरीकों को अपनाना होगा। ध्यान रखें, सावधानी ही एकमात्र बचाव है।
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