कोरोना काल में बकरीद पर कम कुर्बानी की वजह से मदरसों पर आएगा संकट
- बकरीद पर कुर्बानी के बाद जानवरों की खाल को मदरसों को दान किया जाता है जिन्हें बेचकर अच्छा-खासा पैसा मिल जाता है. लेकिन इस बार कोरोना काल में कुर्बानी कम हुई तो नुकसान काफी होगा.
आगरा. कोरोना काल में एक अगस्त को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह की राह में कुर्बानी करेंगे. हालांकि इस बार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कुर्बानी कम होंगी. ऐसे में कुर्बानी कम होने का सीधा असर ताजनगरी आगरा के मदरसों पर पड़ेगा.
दरअसल जिले में करीब सौ मदरसों का खर्चा ज्यादातर रमजान और बकरीद पर मिलने वाले जकात, फितरा, इमदाद से चलता है. इस बार रमजान में भी लोग ज्यादा मदद नहीं कर पाए. फितरा-जकात का पैसा भी गरीबों में ज्यादा बांटा गया.
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बकरीद पर होने वाली कुर्बानी के बाद पशुओं के चमड़े को भी मदरसे को दान किया जाता. यह खाल बेचकर काफी पैसा मदरसों को मिल जाता है. लेकिन इस बकरीद ऐसा होने की संभावनाएं कम नजर आ रही हैं.
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मालूम हो कि बकरीद पर कुर्बानी के जानवरों की खाल बेचकर आए पैसों से मदरसों में शिक्षक, बच्चों के रहने और खाने का खर्चा निकल जाता है लेकिन इस बार हालात को देखते हुए उम्मीदें भी कम हैं.
एक अनुमान के अनुसार, साल 2019 में जिले में करीब 80 हजार बड़े-छोटे जानवरों की कुर्बानी हुई जिससे भारी संख्या में मदरसों को फायदा पहुंचा. उस समय एक बड़े जानवर की खाल की कीमत 3 से 4 सौ रुपये थी जो अब 100 रुपये रह गई है. वहीं बकरे की जो 80 रुपये थी वो अब 15 रुपए रह गई है. ऐसे में एक तो कुर्बानी कम होंगी और उसके बाद खाल के रेट भी सही नहीं मिलेंगे.
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