आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज की पीजी स्टुडेंट डॉ. योगिता गौतम की हत्या, सीनियर पर केस

Smart News Team, Last updated: Thu, 20th Aug 2020, 1:37 AM IST
  • आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की पीजी पास स्टुडेंट डॉ. योगिता गौतम का मर्डर हो गया है और इस केस में योगिता के घरवालों की शिकायत के आधार पर एमबीबीएस कोर्स में एक साल सीनियर रहे डॉक्टर विवेक तिवारी को अपहरण और हत्या का आरोपी बनाया गया है.
मेडिकल स्टुडेंट डॉक्टर योगिता गौतम की अगवा करके हत्या का आरोप फैमिली ने योगिता के सीनियर डॉक्टर विवेक तिवारी पर लगाया है.

आगरा. आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की पीजी पास स्टुडेंट डॉक्टर योगिता गौतम की हत्या हो गई है. एसएनएमसी में स्त्री रोग विभाग की पीजी छात्रा रहीं योगिता का शव बुधवार की सुबह फतेहाबाद हाइवे पर बमरौली कटारा क्षेत्र में सड़क किनारे मिला. योगिता के सिर पर भारी चीज से वार किया गया है जिससे उनकी मौत हुई लगती है लेकिन मरने की असल वजह का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हो पाएगा. 

योगिता के परिवार ने उनके सीनियर डॉक्टर विवेक तिवारी के खिलाफ अगवा करके हत्या करके शव फेंकने का आरोप लगाया है. योगिता का कुछ दिन पहले ही पीजी का रिजल्ट आया था और वो पास कर गई थीं. उनकी कुछ महीने के लिए अस्पताल के कोविड वार्ड में ड्यूटी लगाई गई थी.

योगिता के भाई डॉक्टर मोहिंदर कुमार गौतम ने सुबह ही मिल चुके अज्ञात शव की पहचान अपनी बहन के तौर पर बुधवार शाम में की. मोहिंदर ने इससे पहले उरई में तैनात मेडिकल अफसर डॉ. विवेक तिवारी के खिलाफ एमएम गेट थाने में अपहरण का केस दर्ज करा दिया था. आगरा पुलिस की सूचना पर जालौन पुलिस ने विवेक तिवारी को पुलिस हिरासत में ले रखा है और पूछताछ के साथ ही आगे की जांच के लिए एसएसपी आगरा पुलिस टीम को गाइड कर रहे हैं. 

पुलिस को बुधवार सुबह डौकी के पास एक लड़की का लॉअर और टीशर्ट में शव मिला था. पास में स्पोर्ट्स शूज थे और सिर के पीछे चोट का निशान था. तलाशी में ना कोई पहचान पत्र मिला और ना ही मोबाइल. पुलिस ने पंचनामा करके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.

नजफगढ़ के रहने वाले डॉ. मोहिंदर गौतम ने आगरा पुलिस को बताया कि बहन योगिता नूरी गेट इलाके में रहती है. योगिता ने मुरादाबाद के तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज में 2009 में प्रवेश लिया था. यहीं योगिता की पहचान एक साल सीनियर विवेक तिवारी से हुई थी. विवेक कानपुर के शास्त्रीपुरम इलाके के रहने वाले हैं और इस समय उरई में मेडिकल अफसर पद पर तैनात हैं. 

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योगिता के भाई ने पुलिस को बताया था कि विवेक तिवारी बहन को परेशान करता है. मंगलवार शाम सवा चार बजे घर पर बहन का फोन आया कि विवेक ने उसे डिग्री कैंसिल कराने की धमकी दी है. इसके बाद फैमिली आगरा के लिए निकल गई और रात में साढ़े नौ बजे आगरा पहुंच गई. घर पर बहन नहीं मिली.

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पुलिस ने तहरीर के आधार पर विवेक तिवारी के खिलाफ अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने डौकी में मिले अज्ञात शव को डॉ. मोहिंदर को दिखाया तो योगिता की फैमिली ने शव की पहचान कर ली. योगिता की हत्या की खबर एसएन मेडिकल कॉलेज में फैली तो साथ पढ़ने वाले भी सन्न रह गए.

नूरी गेट से कार से डॉक्टर योगिता गौतम का अपहरण

योगिता के भाई डॉ. मोहिंदर गौतम ने शव की शिनाख्त होने से पहले अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था. उसमें उन्होंने बताया था कि जब बहन घर पर नहीं मिली तो उन्होंने सीसीटीवी फुटेज देखा जिसमें योगिता शाम साढ़े सात बजे घर से अकेले बाहर निकलती दिखी थी. बताया जाता है कि योगिता को बाहर निकलते ही एक टाटा नेक्सन कार में खींचकर अगवा किया गया. केस में विवेक तिवारी के अलावा एक अज्ञात युवक का भी जिक्र है और पुलिस तिवारी से उस बारे में पूछताछ कर रही है.

डॉक्टर योगिता गौतम के हाथ में थे टूटे बाल, शव से दूर थे जूते

डौकी में शव मिलने पर पुलिस को ये तो समझ में आ गया था कि केस मर्डर का है लेकिन पहचान नहीं होने की वजह से जांच अटकी हुई थी. योगिता के हाथ में टूटे बाल थे. नाखून में भी कुछ फंसा था. पुलिस सूत्रों का कहना है कि शव को देखने से लगा कि मरने से पहले योगिता ने संघर्ष किया था और इस दौरान ही उनके हाथ में बाल और नाखुन में खाल जैसी चीजें आईं जो इस केस में अहम सबूत बन सकती है. शव की डॉक्टर के तौर पर शिनाख्त के साथ ही मामला हाईप्रोफाइल हो गया है. एसएसपी ने रात में ही पुलिस की कई टीमें गठित कर दी हैं.

योगिता के पिता नवोदय विद्यालय समिति में अधिकारी

डॉ. योगिता गौतम के पिता अंबेश गौतम नवोदय विद्यालय समिति में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं. योगिता के मर्डर ने परिजनों को हिला दिया है. योगिता की पीजी की पढ़ाई भी इस महीने खत्म हो गई थी. योगिता की ड्यूटी कोविड वार्ड में रहती थी जहां वो महिला मरीजों का बहुत ध्यान रखा करती थीं. अस्पताल के लोग बताते हैं कि योगिता के वार्ड में आने का समय तो तय था मगर कभी वो घड़ी देखकर वापस नहीं जाती थीं.

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