कोरोना से रोडवेज बेहाल: लॉकडाउन में 50 करोड़, तो अनलॉक में रोजाना 50 लाख का घाटा

Smart News Team, Last updated: Wed, 17th Jun 2020, 9:27 AM IST
  • कोरोना अनलॉक-1 के बाद उत्तर प्रदेश की रोडवेज बसों का एक जून से परिचालन शुरू हो गया है, मगर कोरोना से बचने के लिए लोग अभी रोडवेज बसों में सफर करने से बच रहे हैं। ऐसे में रोडवेज विभाग को हर दिन बड़ा घाटा हो रहा है। आगरा रीजन में 583 बसों के बेड़े में महज 174 बसें ही दौड़ाई जा रही हैं। शेष बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं।
आगरा आईएसबीटी बस अड्डे पर बसें बिना सवारियों के ही खाली पड़ी रहीं।

करोरोना वायरस कहर ने पूरी दुनिया की कमर तोड़ रखी है। भारत भी कोरोना से अछूता नहीं है और इसकी वजह से लागू लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को काफी नकुसान पहुंचाया है। कोरोना अनलॉक-1 के बाद उत्तर प्रदेश की रोडवेज बसों का एक जून से परिचालन शुरू हो गया है, मगर कोरोना से बचने के लिए लोग अभी रोडवेज बसों में सफर करने से बच रहे हैं। ऐसे में रोडवेज विभाग को हर दिन बड़ा घाटा हो रहा है। आगरा रीजन में 583 बसों के बेड़े में महज 174 बसें ही दौड़ाई जा रही हैं। शेष बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं।

कोरोना के खतरे को देखते हुए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन किया गया था। इसके बाद से रेल से लेकर बसें सभी बंद थी। परिवहन निगम की सेवा भी बंद रही। करीब 69 दिन तक चले लॉकडाउन में सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश रोडवेज को पड़ा। इन दिनों में आगरा रीजन में रोडवेज को 50 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ। यहां जानने वाली बात है कि इन 583 बसों से रोजाना 70 से 75 लाख रुपये आय होती थी। अब एक जून से अनलॉक होने के बाद बसें दौड़ रही हैं, लेकिन सवारियां नहीं मिल रहीं। एक से दस जून तक शुरू में 50 बसें चलाई गई, लेकिन अब 174 बसें चलाई जा रही हैं।

एक बसे से करीब 12 हजार की आमदनी

परिवहन विभाग के अधिकारियों की माने तो एक बस अगर चार सौ किमी की दूरी तय करती है तो डीजल आदि का खर्च निकालकर करीब दस से 12 हजार रुपए आय होती है। इसमें अनुबंधित बस से आमदनी कुछ कम होती है। अनलॉक के दौरान रोडवेज को तीन से चार हजार रुपये ही मिल रहे हैं।

एक जून से बीस फीसदी भी सवारी नहीं

एक जून से रोडवेज को 60 फीसदी लोड फैक्टर देने वाली रोडवेज बसें 25 फीसदी लोड फैक्टर नहीं निकाल पा रही हैं। कई बसें अपने रुट पर जाने के बाद दूसरी तरफ से आने के लिए डीजल का खर्चा तक नहीं निकाल सकी। बमुश्किल दो से तीन हजार रुपये का राजस्व लेकर वापस आई। इसलिए विभाग ने 10 सवारी से कम होने पर बस को चलाने से मना कर दिया है।

सामान्य दिनों में 35 हजार सवारियां

रोडवेज बसों को सामान्य तौर पर एक दिन में 32 से 35 हजार सवारियां मिलती थीं, लेकिन अब स्थिति बदहाल हो गई है। वर्तमान में बमुश्किल तीन से चार हजार सवारी मिल रही हैं। इसमें रोजाना सफर करने वाली संख्या ज्यादातर हैं।

विभाग ने शुरू की बुकिंग सेवा

रोडवेज बसों में अपेक्षित यात्री नहीं मिल पाने के कारण रोजाना हो रहे नुकसान को देखते हुए विभाग ने यात्रियों की सुविधा के लिए सामान्य बस सेवा के साथ ही टिकट बस बुकिंग सेवा भी शुरू की है। प्रदेश के किसी भी जिले में जाने के लिए बस की बुकिंग कराई जा सकती है। न्यूनतम 35 से 40 यात्रियों का होना अनिवार्य है। खास बात यह है कि इस बुकिंग के लिए यात्रियों से सामान बस सेवा की तरह ही प्रति टिकट बस का किराया लिया जाएगा।

आरएम का तबादला, जेनर्म ने महाप्रबंधक भी हटाए

आगरा परिक्षेत्र के क्षेत्रीय सहायक प्रबंधक मनोज कुमार त्रिवेदी का तबादला मंगलवार को सहारनपुर कर दिया गया। उनके स्थान पर सहारनपुर के आरएम मनोज कुमार पुंढीर को भेजा गया है। शासन ने आगरा मथुरा सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज (मार्ग) के महाप्रबंधक आरबीएल शर्मा को हटा दिया है। उनका प्रभार भी नवागत आरएम पुंडीर को सौंपा गया है।

कई लोग संगठन से किए निष्कासित

यूपी रोडवेज इम्पलाइज यूनियन द्वारा कर्मचारी विरोधी एवं संगठन विरोधी कार्य करने वाले ओम प्रकाश बागोर, नरेश कुमार, राजकुमार, सुभाष जादौन व ब्रह्मजीत को संगठन से निष्कासित कर दिया गया है। उपरोक्त सदस्यों द्वारा अपने निजी स्वार्थ में कर्मचारियों का शोषण उत्पीड़न किया जा रहा था।

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