कोरोना काल: उजड़ गई मोहब्बत के शहर की रौनक, गायब हुए पर्यटक, बंद हो गए 500 होटल
- ताजमहल बेशक 6 जुलाई से फिर खुलने जा रहा है लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन में बंद रहे पर्यटन की वजह से ताजनगरी के बजट होटल आर्थिक संकट में आ गए हैं। मालिकों के पास बिजली का बिल भरने तक के पैसे जेब में बाकी नहीं हैं।
आगरा. कोरोना काल में आगरा के होटल मालिकों की हालत किसी से नहीं छुपी है। पिछले 100 दिनों से ज्यादा हो गए लेकिन पर्यटकों की रौनक अब जिले में नहीं दिखाई देती जिसका सीधा असर शहर के छोटे और बजट होटलों पर पड़ रहा है। खराब आर्थिक हालात के चलते करीब पांच सौ होटल पूरी तरह बंद हो गए हैं। 50 हजार से ज्यादा परिवारों के आगे खाने तक के लाले हैं। यही हाल शहर के 1500 से ज्यादा रेस्टोरेंटों का भी है जिससे जुड़े करीब 75 हजार परिवारों पर असर पड़ा है।
गौरतलब है कि शहर के करीब 500 बजट होटलों पर ताले पड़ गए हैं। होटलों के अंदर चलने वाले रेस्त्रां भी पूरी तरह बंद हैं। स्टाफ को घर वापस भेज दिया गया है। इनमें से 95 फीसदी होटल तभी गुलजार होंगे जब पर्यटकों का आना शुरू होगा जो अभी दूर तक नजर नहीं आ रहा है। यूं तो ताजमहल समेत कुछ इमारत 6 जुलाई से टूरिस्टों के लिए खुलने जा रही हैं लेकिन कोरोना के खतरे के बीच कितने लोग आकर घूमना पसंद करेंगे ये बड़ा सवाल बन गया है।
शहर में चल रहे काफी संख्या में ऐसे होटल हैं जिनके संचालकों ने मोटा बैंक लोन ले रखा है और अब किश्त जमा करने तक के पैसे जेब में नहीं है। इतना ही नहीं, कई संचालकों के पास तो बिजली का बिल आदि खर्चों को भरने तक का हिसाब नहीं है। कहा जा रहा है कि आगरा में होटलों का उद्योग को उबरने में कम से कम दो साल का समय लग सकता है। लेकिन इतने समय में काफी होटल शायद आर्थिक तंगी से लड़ भी ना पाएं और बीच में ही धंधा बंद होने की नौबत न आ जाए।
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने कहा कि तीन महीने के लिए बिजली, पानी, गृहकर का टैक्स माफ किया जाना चाहिए। वैसे भी नगर निगम अधिनियम में भी है कि खाली बिल्डिंग का टैक्स नहीं लिया जा सकता है। इसलिए जनवरी से जून का टैक्स माफ किया जाना चाहिए।
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