आगरा: कान्हा जन्म पर नहीं खुलेंगे जेल के दरवाजे, ना सजेगा मंदिर ना बंटेगा प्रसाद
- आगरा जिला जेल में इस साल कान्हा के जन्म पर जेल के दरवाजे नहीं खुलेंगे. जिला जेल में हर साल बंदी मंदिर को सजाते हैं और प्रसाद बांटते हैं. इस बार ऐसा नहीं किया जाएगा. कोरोना के चलते इस साल जन्माष्टमी का कार्यक्रम नहीं होगा.

आगरा के जेल में इस बार कान्हा जन्म पर दरवाजे नहीं खुलेंगे. कोरोना महामारी के चलते आगरा जेल में कृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन नहीं किया जा रहा है. 2017 और 2018 में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात 9 से 12 बजे तक जेल के दरवाजे आम लोगों के लिए खुले रहे थे. लोग जेल में सजे मंदिर और लगी झांकियों के दर्शन करने आते थे. गौरतलब हो कि पिछले साल भी आगरा सेंट्रल जेल के दरवाजे कश्मीरी बंदियों की वजह से नहीं खुले थे. इस बार जेल में पूजा-अर्चना तो मंदिर पर होगी, लेकिन आम जनता की एंट्री नहीं होगी.
हालांकि जेल में जन्माष्टमी मनाई जाएगी लेकिन कोरोना के कारण ये बड़े स्तर पर नहीं होगी और आम जनता को भी आने नहीं दिया जाएगा. बंदी केवल शहीद भगत सिंह उद्यान पार्क के पास स्थित मंदिर में जन्माष्टमी मनाएंगे. बंदी भजन-कीर्तन करेंगे व झांकी सजाएंगे. इसी के मद्देनजर जेल का सुरक्षा पहरा भी कड़ा कर दिया गया है.
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हर साल की तरह इस साल मंदिर को भव्य नहीं सजाया जाएगा और ना ही आम जनता में प्रसाद बांटा जाएगा. बंदियों के लिए जेल में कार्यक्रम का आयोजन होगा. इसी के मद्देनजर जेल अधीक्षकों को कड़े निर्देश दिए गए हैं.
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बता दें कि जिला जेल में 19 कान्हा ऐसे हैं, जो बिना अपराध सजा काट रहे हैं. मां के जेल में होने के कारण उनका लालन-पालन भी जेल में हो रहा है. जिला जेल में ऐसे आठ बच्चे हैं जिनके मां और बाप दोनों जेल में हैं. इसके अलावा जेल में 183 महिला बंदियों के साथ 19 बच्चे बंद हैं. बच्चों के लिए जेल में खेलने के लिए पार्क और खिलौने, झूले आदि हैं. महिला बंदियों द्वारा तीन साल तक के 10 बच्चों को जेल में पढ़ाया जाता है. बाकि बच्चे बाहर पढ़ने जाते हैं.
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