जल्द बंद हो जाएगी रेलवे की 165 साल पुरानी ये सुविधा, विरोध में हो रहा प्रदर्शन

Smart News Team, Last updated: Mon, 20th Jul 2020, 2:47 PM IST
रेलवे विभाग अपनी 165 साल पुरानी एक सुविधा बंद करने जा रहा है जिसके खिलाफ यूनियन का प्रदर्शन भी चल रहा है.
रेलवे की 165 साल पुरानी सर्विस बंद

आगरा. ताजनगरी में रेलवे विभाग 165 साल पुरानी सुविधा को बंद करने जा रहा है. दरअसल रेलवे गार्ड और चालक को लाइन बॉक्स की सुविधा देता है जिसे बंद करने का निर्णय लिया गया है. रेलवे नए नियमों को लागू कर रहा है. हालांकि इन नए नियमों के खिलाफ रेलवे यूनियनों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. नए नियमों के तहत रेलवे 165 साल से दी जा रही लाइन बॉक्स की सुविधा की जगह अब ड्राइवर और गार्ड को एक बैग देने का निर्णय ले रहा है. कहा गया है कि सभी को बैग कंधे पर टांगकर ड्यूटी पर जाना होगा. इससे पहले रेलवे गार्ड और चालक को लोहे की मजबूत पेटी देते थे. इस पेटी को लाइन बॉक्स कहते हैं. 

गौरतलब है कि इस लाइन बॉक्स के अंदर हरी/लाल झंडी, टॉर्च, संरक्षा के नियमों की किताब और सबसे महत्वपूर्ण डेटोनेटर की छड़े होती हैं. इन छड़ों का उपयोग आपात स्थिति में होता है. 165 साल से ये पेटी दी जा रही थी. रेलवे यूनियनों का कहना है कि बैग में इन छड़ों के चोरी होने का डर है. गार्ड और चालक इसी का विरोध कर रहे हैं. हालांकि कहा गया है कि योजना अभी मूर्तरूप नहीं ले सकी है.

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एनसीआरईएस के लोको रनिंग शाखा मंत्री हरिओम भारद्वाज ने बताया कि संरक्षा के लिए डेटोनेटर की छड़ दी जाती है. ये पहले पेटी में दी जाती थी. अब बैग में दी जाएंगी. पेटी न होने के कारण इन छड़ को घर ले जाना होगा. वहीं घर ले जाने में समस्या ये रहेगी की अधिकांश घरों में छोटे बच्चे होते हैं. यदि छड़ों के कारण गार्ड और चालक के परिवार में कोई हादसा होता है तो उसका जवाबदेह कौन रहेगा? इसके चलते विरोध किया जा रहा है.

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यूनियनों का कहना है कि ये नियम किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे. एनसीआरईएस के मंडल अध्यक्ष अक्षयकांत शर्मा ने कहा कि यूनियन किसी भी कीमत पर पेटी की जगह बैग के नियम को लागू नहीं होने देंगे. विरोध करने के साथ इसके कारणों से भी मंडल के उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. उन्होंने कहा कि परिचालन विभाग के अधिकारी भी जानते हैं कि यह खतरनाक हो सकता है. ड्राइवर और गार्ड के साथ उनके परिवार को खतरे में नहीं डाल सकते इसलिए विरोध किया जा रहा है.

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