आगरा: कीठम सेंचुरी बना मेहमान ग्रेट व्हाइट पेलिकन का आशियाना, असम गुजरात भी रहे पीछे

Sumit Rajak, Last updated: Mon, 21st Feb 2022, 12:28 PM IST
  • रामसर साइट कीठम सेंचुरी में पहली बार ग्रेट व्हाइट पेलिकन ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बड़ी संख्या में पहुंचे पक्षियों के झुंडों से झील किनारे आकर्षक बढ़ गया है. असम और गुजरात के कच्छ में इस पक्षी को सर्वाधिक देखा जाता था. लेकिन इस बार कीठम की खूबसूरती में ये चार चांद लग रहे हैं. पेलिकन की दो प्रजातियां यहां आती है. दोनों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा अधिक है.
ग्रेट व्हाइट पेलिकन

आगरा. रामसर साइट कीठम सेंचुरी में पहली बार ग्रेट व्हाइट पेलिकन ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. बड़ी संख्या में पहुंचे पक्षियों के झुंडों से झील किनारे आकर्षक बढ़ गया है. असम और गुजरात के कच्छ में इस पक्षी को सर्वाधिक देखा जाता था. लेकिन इस बार कीठम की खूबसूरती में ये चार चांद लग रहे हैं. पेलिकन की दो प्रजातियां यहां आती है. दोनों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा अधिक है. विगत 24 जनवरी 2022 को एशियन वाटरवर्ड सेंसर-22 की गणना हुई थी. वैलेंटाइन इंटरनेशनल की इस गणना में बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के वैज्ञानिक और वेटलैंड्स इंटरनेशनल के टीके रॉय सम्मलित थे.

गणना में वैज्ञानिक ने इस साल ग्रेह व्हाइट पेलिकन की संख्या 424 और डालमेशन पेलिकन की 18 दर्ज की थी. वहीं पिछले साल 2021 में दोनों की संख्या 67 और 16 दर्ज की गई थी. 12 फरवरी को उत्तर प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के माध्यम से एशियन वाटर वर्ल्ड की गणना हुई. ग्रेट व्हाइट पेलिकन की संख्या 826 दर्ज की है. 52 डालमेशन पेलिकन दिखाई दिए. यह संख्या कीठम के अलग-अलग ब्लॉक में थी. पक्षी वैज्ञानिक डॉ. केपी सिंह के मुताबिक, डालमेशन पेलिकन संकटग्रस्त प्रजाति है. ये पेलिकन परिवार का सबसे बड़ा पक्षी है. 

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पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी

उत्तर प्रदेश राज्य विविधता बोर्ड की गणना में पक्षी प्रेमियों को 1538 नार्दन शॉवलर और 1832 बार हेडेड गूज पाए गए थे. उन्हें 60 प्रजातियों के 9000 से अधिक प्रवासी और अप्रवासी पक्षी दिखाई दिए. इस वर्ष कीठम में प्रवासी और आवासी पक्षी पिछले वर्ष से अधिक है.

ऐसे देश में आते हैं पक्षी 

पक्षी वैज्ञानिक के मुताबिक भारतीय क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का माइग्रेशन मुख्यत: सेंट्रल एशिया फ्लाई-वे होता है. भौगोलिक रूप से उत्तर मध्य और दक्षिण एशिया ट्रांसफर काकेशस के 30 देशों को कवर करता है. जिसमें से मध्य एशिया व यूरोपीय देश शामिल हैं.

 

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