आगरा में मिला एस्परजिलस फंगस का मरीज, जानें कितना खतरनाक है यह फंगस

Smart News Team, Last updated: Sun, 30th May 2021, 10:55 AM IST
  • ताजनगरी के एसएन मेडिकल कॉलेज में शनिवार को एस्परजिलस फंगस का एक मरीज पाया गया है. डॉक्टर इसे व्हाइट फंगस का एक रूप मानते है. ब्लैक फंगस की तुलना में यह कम खतरनाक होता है. लेकिन इसका इलाज दूसरे तरीके से होता है. हालांकि इसके लक्षण ब्लैक फंगस के समान ही होते है.
व्हाइट फंगस का एक रूप है एस्परजिलस फंगस (प्रतीकात्मक तस्वीर)

आगरा. आगरा में शनिवार को एक एस्परजिलस फंगस का मरीज पाया गया है. यह व्हाइट फंगस ही एक रूप माना जाता है. यह फंगस ब्लैक और व्हाइट फंगस की अपेक्षा कम खतरनाक होता है. इसके लक्षण तो ब्लैक फंगस के समान ही होते है. लेकिन इसके इलाज में ब्लैक फंगस के मरीजों को दी जाने वाली दवाओं एवं इंजेक्शन से रोगी को आराम नहीं मिलेगा. एस्परजिलस फंगस के इलाज में बोरी कोनोजोल टेबलेट का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि ब्लैक फंगस के रोगियों के लिए एंफोटेरेसिन-बी इंजेक्शन इस्तेमाल किया जाता है.

मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को एसएन मेडिकल कॉलेज में करीब 40 वर्षीय मरीज का ऑपरेशन किया गया. जिसके बाद माइक्रो बायोलॉजी लैब में इसके नमूने बायोप्सी के लिए भेजे गए थे. शनिवार को आई रिपोर्ट में मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि तो नहीं हुई. लेकिन उसमें एस्परजिलस की पहचान हुई है. डॉक्टरो के अनुसार ये व्हाइट फंगस का एक रूप है. लेकिन इसमें अन्य फंगल संक्रमण की तरह इलाज नहीं किया जाता. इस कारण एस्परजिलस के मरीज का इलाज भी अब दूसरे तरीके से किया जा रहा है. सिर में लगातार दर्द और एक तरह का दबाव महसूस होना ब्लैक फंगस का सबसे शुरुआती लक्षण हैं. ये फंगस नाक के जरिये दिमाग तक पहुंचता है यही इस नए फंगल के लक्षण भी हैं.

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एसएन मेडिकिल कॉलेज की माइक्रो बायोलॉजी प्रभारी डॉ. आरती अग्रवाल ने बताया कि एस्परजिलस में चमकती हुई लाइनें दिखती हैं. इससे पता चल जाता है कि यह व्हाइट का ही रूप है. जबकि ब्लैक में खून की सप्लाई रुकने से संबंधित स्थान काला पड़ जाता है. हालांकि एस्परजिलस कम खतरनाक है. वहीं एसएन मेडिकल कॉलेज में फंगस प्रभारी टीम के डॉ. अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि इस मरीज की जांच रिपोर्ट के बाद हमने इलाज का तरीका बदल दिया है. संबंधित फंगल इन्फेक्शन की दवाएं दी जा रही हैं. इस मरीज को ब्लैक फंगस की दवाओं और इंजेक्शन से फायदा नहीं होगा.

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दरअसल व्हाइटस फंगस के दो रूप कैंडिडा और एस्परजिलस होते है. जिसमें कैंडिडा फंगस एस्परजिलस से ज्यादा घातक होता है. कैंडिडा के लक्षणों में त्वचा में इंफेक्शन, मुंह में छाले, छाती में संक्रमण और अल्सर शामिल है. वहीं एस्परजिलस में रोगी को अंधत्व का खतरा रहता है. इसमें फेफड़ों में संक्रमण के साथ ही सांस नली और आंख का कॉर्निया प्रभावित होता है.

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