भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया ने 12 साल पुराने मामले में एमपी एमएलए कोर्ट में दर्ज कराए अपने बयान

Shubham Bajpai, Last updated: Sat, 18th Sep 2021, 9:30 AM IST
  • 12 साल पुराने एक मामले में इटावा सांसद रामशंकर कटेरिया ने एमपी एमएलए कोर्ट में अपने बयान दर्ज करवाए. सासंद ने यह बयान 2009 में आगरा में हाईकोर्ट की खंडपीठ की मांग को लेकर राजामंडी में प्रदर्शन और रेल के आवागमन को प्रभावित करने के आरोप में दर्ज मामले में कराए हैं. अब अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी.
भाजपा सांसद रामशंकर कठेरिया ने 12 साल पुराने मामले में एमपी एमएलए कोर्ट में दर्ज कराए अपने बयान

आगरा. आगरा में हाईकोर्ट की मांग को लेकर राजामंडी रेलवे स्टेशन में किए गए प्रदर्शन को लेकर दर्ज एक 12 साल पुराने मामले में इटावा सांसद रामशंकर कटेरिया ने एमपी एमएलए कोर्ट में अपने बयान दर्ज कराए. जिसके बाद कोर्ट ने अपने गवाह पेश करने के लिए सांसद को 23 सितंबर का समय दिया है. बता दें कि 26 सितंबर 2009 में वकीलों व राजनैतिक दलों के नेता के साथ रामशंकर कटेरिया ने रेलवे स्टेशन में प्रदर्शन किया. जिसके चलते करीब 3 घंटे रेल का आवागमन प्रभावित हुआ था. जिसके चलते तत्कालीन स्टेशन प्रबंधक इंद्रवीर सिंह ने रामशंकर कठेरिया समेत आधा दर्जन से अधिक लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. जब यह घटना हुई, तब कठेरिया आगरा से सांसद थे.

सांसद की पत्रावली की गई अलग

इस मामले में सांसद रामशंकर के साथ पूर्व मंत्री चौधरी बाबूलाल, कांग्रेस नेता इंदिरा वर्मा, उच्च न्यायालय खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति के संयोजक केडी शर्मा, सचिव अरुण सोलंकी समेत कई लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया गया. जिसमें सांसद की पत्रावली अन्य आरोपियों से अलग कर दी गई है. अब इस मामले में नामजद वरिष्ठ वकील केडी शर्मा का निधन हो चुका है, बाकी पर केस चल रहा है.

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10 साल पुराने एक मामले में अभी हुए बरी

सांसद का इस मामले के साथ एक और मामला आगरा कोर्ट में चल रहा था. जिसमें सांसद रामशंकर कठेरिया, मेयर नवीन जैन समेत 11 लोगों पर एमजी रोड पर जुलूस निकालने और जबरन कलेक्ट्रेट में घुसने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी को बरी कर दिया. इस मामले को थाना नाई की मंडी के अंतर्गत 28 जनवरी 2011 को दर्ज कराया गया था. इसमें सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, सड़क जाम समेत कई धाराओं पर तत्कालीन थानाध्यक्ष अनिल कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया था. कुमार का कहना था कि इस जुलूस में 600 से अधिक लोगों ने बिना परमिशन जुलूस निकाला था.

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इस मामले में सबूतों की कमी के चलते विशेष न्यायाधीश कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी करने के आदेश दिए हैं.

 

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