Plane Crash: एक दिन पहले पिता की आंखों के ऑपरेशन की बात, उनको ही नम कर चले गए पृथ्वी सिंह
- सीडीएस विपिन रावत के मिग 17 प्लेन क्रेश में आगरा के लाल विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान नहीं रहे. एक दिन पहले अपने पिता को फोन करके मोतियाबिंद का ऑपेशन करने की बात करने वाले विंग कमांडर उन आंखों को नम करके हमेशा के लिए उनसे दूर चले गए. इस बात को याद कर पिता की आंखों से बह रहे आंसू नहीं रूक रहे हैं.
आगरा. बूढ़े पिता की लाचर आंखे जिनके ऑपरेशन का वादा करके बेटे ने उनको परेशान न होने को कहा था आज वो बेटा उनसे इतना दूर चला गया कि वो चाह के भी उसको नहीं देख सकते हैं. ये सोचकर रूक रूककर सुरेंद्र सिंह चौहान की आंखें नम हो जा रही है. हम बात कर रहे विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के पिता की. बुधवार को तमिनाडु के पास जिस मिग 17 प्लेन का क्रेश हुआ. उसमें सीडीएस विपिन रावत के साथ आगरा का लाल पृथ्वी सिंह भी शामिल था. क्रेश में उसकी भी मौत हो गई. पिता ने बताया कि एक दिन पहले बात हुई तो बेटे ने कहा था कि पापा आप इधर-उधर कहीं ऑपरेशन मत कराना, आपका ऑपरेशन मैं मिलिट्री हॉस्पिटल में करा दूंगा. मेरी बात भी हो गई है, आप परेशान मत होना.
दिल्ली मिलिट्री हॉस्पिटल में की है ऑपरेशन की बात
बेटे की मौत से टूट चुके पिता सुरेंद्र सिंह ने बताया कि एक दिन पहले बेटे का फोन आया था. उसने अपनी मां से बात की और उसके बाद मेरा हालचाल जाना. इस दौरान मेरी आंखों के मोतियाबिंद ऑपरेशन को लेकर कहा कि आप परेशान मत होना, ऑपरेशन की बात दिल्ली मिलिट्री हॉस्पिटल में हो गई. यहां आसानी से ऑपरेशन हो जाएगा.
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अब किसको देखने कराऊंगा ऑपेशन
बेटी की मौत से बेसुध पिता खुद को कोसते हुए कह रहे हैं कि मैं ही अभागा हूं कि ये दिन देखने को लिखा था. अब जब बेटी नहीं है तो किसको देखने के लिए मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराऊंगा. अब वहीं नहीं रहा तो आंखों का ऑपरेशन कराकर क्या करूंगा.
पूरे खानदान में अकेले फौज में था पृथ्वी
पिता सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके सभी भाई कारोबार करते हैं. पूरे परिवार में सिर्फ पृथ्वी ही था जो सेना में था. जिसको लेकर पूरे परिवार को उस पर गर्व था. कभी सपने में भी इस दिन की कल्पना नहीं की थी. सूडान में विशेष ट्रेनिंग लेने के बाद पृथ्वी की गिनती जाबांज पायलट में होती थी.
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बचपन से ही सोच लिया था मातृभूमि की रक्षा करना
बेटे ने बचपन से ही फौज में जाना का सोच लिया था. जिसको लेकर उसकी मां और हम सभी काफी सपोर्ट करते थे. उसका एडमिशन सैनिक स्कूल में कराया. उसने पहली ही बार में एनडीए की परीक्षा में चयन हुआ था. वो हमेशा कहता था पापा परेशान न हो रिटायरमेंट के बाद आपका बिजनेस संभाल लूंगा.
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