उफ! ये कोरोना प्रोटोकॉल, मौत पर मुहर भी आसान नहीं, पल-पल बदलते हैं नियम

Smart News Team, Last updated: Wed, 3rd Jun 2020, 3:00 PM IST
  • कोरोना क्या से क्या न करा दे। कब कौन सा नया नियम बनकर लागू हो जाए, किसी को जल्द कानों कान खबर तक नहीं लग पाती है। यहां तक कि कोरोना संक्रमित की मौत होने के बाद भी ये साफ नहीं हो पाता कि क्या वह कोरोना के कारण ही अपनी जिंदगी हार गया। इसका भी ऑडिट होता है।
Coronavirus Protocol

कोरोना क्या से क्या न करा दे। कब कौन सा नया नियम बनकर लागू हो जाए, किसी को जल्द कानों कान खबर तक नहीं लग पाती है। यहां तक कि कोरोना संक्रमित की मौत होने के बाद भी ये साफ नहीं हो पाता कि क्या वह कोरोना के कारण ही अपनी जिंदगी हार गया। इसका भी ऑडिट होता है। यानी मौत पर मुहर लगना भी आसान नहीं है। जिस तरह से कोरोना का पूरे देश में ट्रेंड बदल रहा है। उसी तरह से कोरोना का प्रोटोकाल भी बदल रहा है। कभी 21, तो कभी 14 और अब 12 दिन कोरोना संक्रमित को आइसोलेशन में रहना होता है। पहले लगातार दो रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही अस्पताल से डिस्चार्ज करने का नियम था। उसके बाद 14 दिनों तक होम क्वारंटाइन किया जाता था। अब कुछ दिन पहले नियम बदल गए। कोरोना संक्रमित की 12 दिन में एक रिपोर्ट नेगेटिव आने पर उसे अस्पताल से घर भेज दिया जाता है। वहां 14 दिन होम क्वारंटाइन में रहना होता है। पहले कंटेनमेंट जोन में एक किलोमीटर का दायरा था। अब 250 और 500 मीटर का दायरा सीमित कर दिया गया है।

इस तरह से शुरू में कोरोना संक्रमितों की मौत होने पर उसे प्रोटोकाल के अनुसार मौत के आंकड़ों में शामिल कर लिया जाता था। अब नया प्रोटोकाल आ गया है। कोरोना संक्रमित की मौत के बाद संबंधित अस्पताल द्वारा उसकी पूरी हिस्ट्री का चार्ट अपर निदेशक स्वास्थ्य के पास भेजा जाता है। वहां आडिट करने वाली एक टीम इस हिस्ट्री को जांचती है। मौत के कारणों के बारे में जानकारी करती है। इलाज करने वाले डॉक्टर से बात करती है। यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति के परिवारीजनों से भी बात करती है। उसके बाद उसे स्वास्थ्य निदेशालय लखनऊ भेजा जाता है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही मौत के कारण की पुष्टि की जाती है।

इस तरह से होता है ऑडिट

- संबंधित अस्पताल से मरीज के बारे में पूरी हिस्ट्री देखी जाती है।

- कितने दिन पहले से बीमार है, क्या बीमारी थी।

- अस्पताल में कब भर्ती हुआ, उस समय क्या स्थिति थी।

- अस्पताल में क्या-क्या इलाज हुआ।

- परिवार में किसी और को कोई बीमारी तो नहीं थी।

- कोरोना संक्रमण होने के कितने दिन बाद मौत हुई।

मौत के बाद ये भी हैं नियम

- यदि किसी की मौत अस्पताल में हुई हो या कोविड 19 मरीज मृत अवस्था में अस्पताल पहुंचा हो तो प्रशासन सिर्फ प्रशिक्षित हेल्थवर्कर को ही शव को पैक करने के काम में लगाएगा।

- अस्पताल ही श्मशान घाट या कब्रगाह तक मृत शरीर को पहुंचाने के लिए शव वाहन देगा, जिससे कि मृत शरीर से संक्रमण ना फैले।

- भारत सरकार की गाइडलाइन को मानते हुए परिजनों को पूरी तरह से पैक की गई डेड बॉडी ही दी जाएगी।

- यदि किसी केस में कोई परिजन नहीं मिलता है तो अस्पताल उसे ठीक से पैक कर और कीटाणुशोधन कर लाशघर में रख देगा।

- यदि किसी कोरोना पॉजिटिव की मौत कोविड केयर सेंटर, कोविड हेल्थ सेंटर या कोविड टेस्टिंग सेंटर में होती है तो भी संबंधित अस्पताल प्रशासन को ही उसकी देखभाल करनी होगी। सिर्फ उनके लिए शव वाहन की व्यवस्था डीएम द्वारा की जाएगी।

- यदि किसी कोरोना पॉजिटिव शख्स की मौत हेल्थ केयर से बाहर घर पर होती है तो परिजनों को इस बात की जानकारी जिलाधिकारी को फोन पर बतानी होगी। उसके बाद मृत शरीर को पैक करने और कीटाणुशोधन करने की जिम्मेदारी अस्पताल की होगी और शवदाह गृह या कब्रगाह पहुंचाने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होगी।

जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह ने कहा कि कोरोना संक्रमित की मौत के बारे में प्रोटोकाल पहले से अलग तरह का हो गया है। अब पहले ऑडिट होता है। रिपोर्ट मुख्यालय जाती है। वहां से पुष्टि होने के बाद ही उसे लिस्ट में शामिल किया जाता है।

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