आगरा में होगा कोरोना विस्फोट? अगस्त तक 27000 पहुंच सकता है मरीजों का आंकड़ा
- कोरोना वायरस का विकराल रूप आगरा में देखने को मिल सकता है। माना जा रहा है कि आगरा शहर में कोरोना अपने पीक पर होगा और अगस्त के मध्य तक आगरा में कोरोना वायरस संक्रमितों का आंकड़ा 27 हजार को पार कर सकता है।
कोरोना वायरस का विकराल रूप आगरा में देखने को मिल सकता है। माना जा रहा है कि आगरा शहर में कोरोना अपने पीक पर होगा और अगस्त के मध्य तक आगरा में कोरोना वायरस संक्रमितों का आंकड़ा 27 हजार को पार कर सकता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की एक रिपोर्ट का लब्बोलुआब यही है। डीएम और सीएमओ को सौंपी गई रिपोर्ट दरअसल संभावित गणना है। आईएमए ने जिले में हर 14 दिन बाद आने वाले संक्रमितों को आधार बनाकर इसे तैयार किया है। अगर ऐसा हुआ तो शहर मुश्किल में पड़ सकता है।
आईएमए ने जिले में संक्रमण की शुरुआत के बाद ही सारिणी तैयार करना शुरू कर दिया था। पहले 58 मरीजों के आने पर जिले की स्थिति के संभावित आंकड़े सारिणी की पहली टेबल में हैं। इसके बाद हर 14 दिन के बाद होने वाली स्थिति का अंदाजा लगाया गया है। तीन जून को पहले अनलॉक की संभावित स्थिति को पीले रंग में दर्शाया गया है। इसके मुताबिक तीन जून तक संक्रमितों की संख्या 900 के आसपास बताई गई है। अब तक 999 मरीजों का संक्रमित होने के लिहाज से यह गणना सटीक बैठ रही है।
इसमें तीन जून तक होने वाली मौतों का आंकड़ा भी 43 बताया गया था। जबकि 10 जून तक यह संख्या 50 को पार कर चुकी है। इसी गणना के आधार पर आईएमए की यह सारिणी आगरा को आगाह करने वाली है। संगठन ने संभावित मरीजों के साथ इलाज के लिए विभिन्न तरह के अस्पताल और क्वारंटाइन सुविधाओं की जरूरत को बताया है। यानि भविष्य में आगरा को कितनी जरूरत होगी, यह बखूबी दर्शाया गया है। पहली सारिणी में लाल रंग को संक्रमण का उच्चतम स्तर मानते हुए संक्रमितों की संभावित संख्या बताई गई है।
यह 13 अगस्त के आसपास करीब 27 हजार तक पहुंच रही है। जबकि यहां तक पहुंचने में आगरा को 858 लोग खोने पड़ सकते हैं। यानि इतने लोगों की मौत हो सकती है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए आगरा को करीब 12 हजार बेड की जरूरत पड़ सकती है। इनमें एल-2 और एल-3 श्रेणी के करीब 1500 बेडों की जरूरत पड़ सकती है।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को भेजा
सूत्रों के मुताबिक आईएमए ने यह रिपोर्ट (सारिणी) जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को भेजी है। आने वाले दिनों में जिले की हालत क्या होगी, बताने की कोशिश की गई है। एल-1 से लेकर एल-3 श्रेणी के कितने बेड की जरूरत होगी, एंबुलेंस, डाक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ के आगे क्या दिक्कतें आ सकती हैं, यह भी समझाने की कोशिश की गई। संक्रमितों के हिसाब से वेंटीलेटरों का भी हिसाब दर्शाया गया है।
दिनांक | कुल संक्रमित | एल-2/3 मरीज | कुल बेड | मौत |
17 जून | 1762 | 107 | 820 | 58 |
1 जुलाई | 3766 | 257 | 1969 | 93 |
15 जुलाई | 8576 | 616 | 4726 | 177 |
29 जुलाई | 20120 | 1478 | 11344 | 377 |
13 अगस्त | 27046 | 1926 | 12890 | 858 |
(नोट: हर 14 दिन के अध्ययन के बाद यह संभावित आंकड़ों का पूर्वानुमान है)
एक साथ वेंटीलेटर पर जाएंगे 250 मरीज
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए यह परेशान करने वाला पूर्वानुमान है। आईएमए की गणना के मुताबिक संक्रमण की रफ्तार बढ़ी तो किसी भी दिन एक साथ लगभग 250 लोग एक साथ वेंटीलेटर पर होंगे। जबकि सरकारी इंतजामों में वेंटीलेटरों की संख्या इसके 10 प्रतिशत ही है। ऐसी स्थिति में गंभीर संक्रमितों को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।
संभावित गणना में माना गया है कि कुल संक्रमितों में से 20 प्रतिशत को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे सभी मरीज एल-2 और एल-3 श्रेणी के होंगे। एल-1 वालों को इसकी जरूरत नहीं होगी। अगर 35 हजार संक्रमित हुए तो करीब 700 लोगों को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ सकती है। जबकि संक्रमण के उच्चतम स्तर (पीक टाइम) पर किसी भी दिन वेंटीलेटर पर एक साथ 250 गंभीर मरीज पहुंच सकते हैं। जबकि सरकारी अस्पतालों में इतने वेंटीलेटरों का प्रबंध ही नहीं है। एसएनएमसी में सिर्फ दो दर्जन वेंटीलेटर हैं। इस सुविधा के निजी अस्पतालों को संक्रमितों के इलाज की अनुमति नहीं है। लिहाजा वहां का लाभ नहीं मिल सकता है। शासन ने आयुष्मान योजना से कवर अस्पतालों में कोविड के इलाज का रेट तय कर दिया है। प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क भी तय किया गया है। लेकिन इन अस्पतालों ने अभी संक्रमितों का इलाज शुरू नहीं किया है। यहां किस तरह इलाज होगा, अभी स्पष्ट नहीं है। इन्हें शुरू करने से पहले इन्फेक्शन प्रोटेक्शन का प्रशिक्षण लेकर स्वास्थ्य विभाग से अनुमति लेनी पड़ेगी। सुविधाओं का भौतिक परीक्षण करना होगा। तीन बड़े अस्पताल एल-2 स्तर के मरीजों का उपचार कर रहे हैं। हालांकि इनका शुल्क आम आदमी की पहुंच से बाहर है।
ऑक्सीजन और डायलिसिस भी चाहिए
संक्रमण बढ़ने की स्थिति में गंभीर मरीजों को बचाना चुनौती भरा होगा। एल-2 स्तर के मरीजों के लिए ऑक्सीजन का प्रबंध होना चाहिए। जबकि एल-3 स्तर के मरीजों के लिए वेंटीलेटर और डायलिसिस यूनिट होनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इनकी उपलब्धता बेहद कम है। निजी अस्पताल कोरोना संक्रमितों के लिए अपने वेंटीलेटर नहीं दे सकते। लिहाजा इन मशीनों की संख्या बढ़ानी पड़ेगी।
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