शर्मनाकः जिला अस्पताल में प्रसूताओं की जगह सामान ढोने के काम आ रहीं व्हील चेयर

Smart News Team, Last updated: Sat, 21st Aug 2021, 2:26 PM IST
  • आगरा जिला महिला अस्पताल में विभाग की अनदेखी गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम साबित हो रही है. अस्पताल में महिलाएं गर्भवती अवस्था में सीढ़ी चढ़कर इलाज के लिए जा रही हैं, वहीं व्हील चेयर का उपयोग अस्पताल में सामना ढोने के लिए हो रहा है. इस पर न अस्पताल प्रशासन और न जिला प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है.
आगरा जिला अस्पताल में प्रसूताओं की जगह सामान ढोने के काम आ रहीं व्हील चेयर.

आगरा: सरकार और स्वास्थ्य विभाग प्रसूताओं (गर्भवती महिलाओं) के लिए आए दिन नई योजनाओं को उदघाटन कर रहा है ताकि प्रसूताओं को किसी तरह की दिक्कत न हो और वो सरकारी अस्पतालों में आसानी से डिलीवरी करवा सकें. वहीं, जमीनी हकीकत सरकार और विभाग के दावों से बिल्कुल उलट है. हम बात कर रहे हैं आगरा के जिला अस्पताल की जहां शर्मसार और दावों की पोल खोलने वाली घटनाओं की लंबी लिस्ट है. महिला जिला अस्पताल में रोज गर्भवती महिलाएं आती है और उनको इसी अवस्था में दर्द से कराहते हुए सीढ़ियां चढ़ती पड़ती है और शासन की ओर से उनके लिए उपलब्ध कराए गए स्ट्रेचर और व्हील चेयर का उपयोग अस्पताल के कर्मचारी सामान को इधर से उधर ले जाने के लिए करते हैं. लेकिन इस पर न अस्पताल प्रशासन और न वहां मौजूद किसी डॉक्टर की नजर जाती है. कई बार अस्पताल में गर्भवती महिला के परिजन उसे गोदी में उठाकर इलाज के लिए ले जाते हैं.

मरीजों की संख्या 100, स्ट्रेचर और व्हील चेयर 7

जिला महिला अस्पताल में आव्यवस्था के साथ संसाधनों की भी कमी है. अस्पताल में लगभग 100 से 150 मरीज बने रहते हैं, लेकिन इतने बड़े अस्पताल में सिर्फ 7 व्हील चेयर और 11 स्ट्रेचर हैं. जिस वजह से अधिकांश से सामना ढोया जाता है और जो बच जाते हैं उसमें बमुश्किल किसी एक या दो मरीज को मिल पाते है. वहीं, अस्पताल में पर्ची काउंटर की संख्या कम होने की वजह से महिलाओं को गर्भवती अवस्था में घंटों खड़ा रहकर अपने नंबर का इंतजार करना पड़ता है.

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कोई गोदी से तो कोई खिसक-खिसककर करा रहा है इलाज

जिला महिला अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड और दूसरी मंजिल में जाने के लिए गर्भवती महिलाओं को खासा दिक्कत का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में महिला को ऑपरेशन के लिए जाने हो या किसी का प्रसव होना हो तो दर्द में तड़पती महिलाओं को या तो खिसक-खिसककर दूसरी मंजिल पर जाना पड़ता है या महिला के परिजन गोद में लेकर उन्हें प्रसव कमरे तक पहुंचाते हैं. हालांकि प्रसव कराने आई महिलाओं के लिए अलग रैंप बनी है, लेकिन उसमें भी महिलाओं को खिसककर ही नीचे आना होता है.

ऐसी हालत में महिलाओं का चलना हो सकता है जोखिम भरा

इस संबंध में स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. सुमन सिंह ने बताया कि प्रसव के बाद महिलाओं को सीढ़ियों से नहीं उतरना चाहिए। वहीं, ऑपरेशन से प्रसव वाली महिलाओं को तो बिल्कुल भी नहीं चलना चाहिए ,वो उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है। प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में कई चेंज होते हैं. जिसमें रिकवर होने में उन्हें 15 दिन का समय लगता है.

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