आगरा की हवा में घुटने लगा दम, बढ़ता पीएम-2.5 घोल रहा जहर

Smart News Team, Last updated: Thu, 12th Nov 2020, 4:09 PM IST
  • शहर में लगातार पीएम-2.5 के स्तर में हो रही गिरावट से लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी है. जिसके कारण लोग अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं. उन्हें निदान मिलता नहीं दिख रहा है.
आगरा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढता जा रहा हूं.

आगरा: शहर में 10 दिन से पीएम-2.5 का स्तर 400 बना रहा जिससे प्रदूषण बढ़ता गया. इसी के चलते ताजनगरी प्रदूषण के छठे जोन में पहुंच गई जो बहुत खतरनाक है. इसमें लोगों को घर से बाहर निकलने पर सांस की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. जिसके कारण अस्पतालों में भी इससे संबंधित मरीज रोजाना पहुंचते हैं. गुरुवार को शहर ने छठे जोन से निजात पाई, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. जो थोड़ी बहुत कमी देखी गई है वो सरकार द्वार पटाखों को जलाने में रोक के कारण हुई है. वहीं, बुधवार को आगरा का पीएम-2.5 स्तर 326 तक पहुंच गया.

 

बुधवार को शहर का एक्यूआई 100 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब गिर गया. जिसके कारण पीएम-2.5 का सर्वाधिक औसत स्तर सुबह चार बजे रिकार्ड किया गया. वहीं, यह सुबह 374 माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब रहा है. इसके बाद शाम में 330 पर आ गया. यानि दिन में यह करीब 40 एमपीएम तक गिरा है. हालांकि, शहरवासियों को अभी भी सावधानी बरतने की जरुरत है. इसमें सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी और स्थानीय प्रशासन के सभी आदेश फेल हो गए. किसी तरह से भी प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया जा सका. हाईवे चौड़ीकरण, फ्लाईओवर और अंडरपास के बनने से प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है.

 

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वहीं, केंद्रीय और उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर में निरीक्षण के दौरान तीन विभागों पर 93 लाख जुर्माना लगाया था. इसमें एडीए, जल निगम और आगरा स्मार्ट सिटी लिमिटेड शामिल हैं. जिन्हें 82 दिनों तक पर्यावरण दूषित करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. इनपर यूपी पीसीबी ने 31-31 लाख रुपए के जुर्माने की सिफारिश कर लखनऊ हेड ऑफिस भेजी है. इसमें आगरा विकास प्राधिकरण के द्वारा इनर रिंग रोड के निर्माण कार्य कराया जा रहा है जहां महीनों से धूल उड़ने की शिकायत मिली थी. जिसपर विभाग ने नोटिस चस्पाई लेकिन उसे भी गंभीरता से भी नहीं लिया.

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