मिट्टी में दीमक न होता तो यूपी के आगरा में नहीं MP के इस शहर में होता ताजमहल

आगरा : उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताजमहल को शाहजहां और मुमताज के मोहब्बत की निशानी माना जाता है. ये दुनिया के सात अजूबों में शामिल है. इन सब बातों के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन ताजमहल से जुड़ी एक और बात है, जिसे कम लोग ही जानते होंगे.
ताजमहल बनने की शुरुआत मध्यप्रदेश के बुरहानपुर से हुई थी. सबसे पहले ताजमहल की नींव यहीं खोदी गई थी और ये प्यार की निशानी भी यहीं बनने वाली थी. बताया जाता है कि मुगल शासक शाहजहां और मुमताज महल की लव स्टोरी वैसे तो आगरा से शुरू हुई थी, लेकिन इनका प्यार बुरहानपुर में जाकर परवान चढ़ा.
इतिहासकार मोहम्मद नौशाद के अनुसार शाहजहां जब बुरहानपुर आए, तो वो अपनी बेगम मुमताज को साथ लेकर आए थे, जिनके तीन बच्चों की पैदाइश बुरहानपुर में हुई. वहीं चौथे बच्चे के बाद मुमताज ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
शाहजहां मुमताज से बेपनाह मोहब्बत करते थे इसीलिए उनकी याद में एक भव्य इमारत बनवाना चाहते थे, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये ख्वाहिश मुमताज महल की ही थी, वही इस इमारत को बुरहानपुर में बनवाना संभव नहीं था., जिसके बाद बेगम मुमताज के शरीर को मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाकर छह महीने 9 दिन तक बुरहानपुर में दफनाकर रखा गया, जिसे पाइनबाग कहा जाता है. बाद में उन्हें आगरा ले जाया गया.
शाहजहां की इच्छा थी कि ताजमहल बुरहानपुर में ही बने. लेकिन उस समय के आर्किटेक्ट बताया कि बुरहानपुर की मिट्टी में दीमक हैं. साथ ही बताया कि ताप्ती का जलस्तर कम है, जिसके बाद वहां ताजमहल न बनाने की बात कही. ताजमहल में 65 क्वालिटी का संगमरमर लगना था, जिसे राजस्थान और ईरान से यहां लाना उस समय मुश्किल था, लेकिन ताजमहल का बेस, डिजाइन बुरहानपुर में बना था.
बुरहानपुर में ताजमहल भले ही नहीं बन पाया लेकिन इसकी डिजाइन को यहीं तय किया गया था. मध्यप्रदेश के मांडू स्थित होशंगशाह का मकबरा भारत में पहला ढांचा है, जो संगमरमर से बनाया गया था, जिसकी प्रेरणा लेकर शाहजहां ने ताजमहल को संगमरमर से बनाने का फैसला किया.
काले ताजमहल से प्रेरित है आगरा का ताजमहल
बुरहानपुर में काला पत्थर से बना आकर्षक मकबरा है, जो ताजमहल के बनने से पहले का है और डिजाइन ताजमहल जैसा है. इसे ही स्थानीय लोग काला ताजमहल कहते हैं. ताजमहल के लिए इस मकबरे से भी प्रेरणा ली गई थी.

खानखाना के बड़े बेटे का मकबरा है काला ताजमहल
इतिहासकार मोहम्मद नौशाद के मुताबिक काला ताजमहल में शाहनवाज खान का मकबरा है. वैसे, शाहनवाज खान अब्दुल रहीम खानखाना का बड़ा बेटा था. उनकी परवरिश बुरहानपुर में ही हुई, जो आगे चलकर सेनापति बने. 44 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई, जिसे बुरहानपुर में उतावली नदी के किनारे दफनाया गया, जिसे काला ताजमहल कहते हैं, जो काले पत्थरों से बना है. जिसमें ताज की तरह ही नक्काशी की गई है.
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22 सालों बाद जब कब्र बनाने का काम पूरा हो गया तो मुमताज के शव को पुनः दफनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. बुरहानपुर के जैनाबाद से मुमताज के जनाजे को एक विशाल जुलूस के साथ आगरा ले जाया गया. ताजमहल के गर्भगृह में दफना दिया गया. बताया जाता है कि जुलूस पर उस समय आठ करोड़ रुपए खर्च हुए थे.
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