दोस्ती, दुश्मनी, खून-खराबे की कहानी है दरवेश हत्याकांड,आज ही के दिन दहला था आगरा

Smart News Team, Last updated: Fri, 12th Jun 2020, 11:59 AM IST
  • यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष दरवेश यादव हत्याकांड दोस्ती, दुश्मनी और खून खराबे की ऐसी हकीकत है, जिसे अधिवक्ता कभी नहीं भूल पाएंगे। आज इस घटना के एक साल बीत गए, मगर ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब आज तक नहीं मिल पाए।
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव हत्याकांड का आज एक साल पूरा हो गया।

उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की अध्यक्ष दरवेश यादव हत्याकांड का आज एक साल पूरा हो गया। आज ही का वह दिन था जब 12 जून 2019 को न्यायालय परिसर में दिल दहला देने वाली घटना हुई थी, जिसकी याद अब भी सबके जहन में होगी। दरअसल, यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष दरवेश यादव हत्याकांड दोस्ती, दुश्मनी और खून खराबे की ऐसी हकीकत है, जिसे अधिवक्ता कभी नहीं भूल पाएंगे। आज इस घटना के एक साल बीत गए, मगर ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब आज तक नहीं मिल पाए। आखिर दोनों दोस्तों के बीच इतनी गहरी दुश्मनी क्यों हुई। पुलिस की जांच में भी इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है। पुलिस ने नवंबर 2019 में अंतिम आख्या लगाई थी। जिसमें सिर्फ अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा को दरवेश का हत्यारोपी माना था। उनकी पत्नी वंदना और अधिवक्ता विनीत गोलेच्छा को क्लीनचिट दे दी थी।

क्या हुआ था उस दिन

दरअसल, 12 जून 2019 की दोपहर दीवानी परिसर में अधिवक्ता डॉ. अरविंद मिश्रा के चैंबर में दिनदहाड़े दरवेश यादव की हत्या हुई थी। डेढ़ दशक पुराने दोस्त अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा ने उन्हें चार गोलियां मारी थीं। उसके बाद अपनी कनपटी पर गोली मार ली थी। हत्यारोपी मनीष बाबू शर्मा को इलाज के लिए गुरुग्राम ले जाया गया था। जहां 22 जून को उसने दम तोड़ दिया था।

कौन था मुख्य आरोपी

हत्या के मुकदमे में मुख्य आरोपी मनीष बाबू शर्मा था। उसकी मौत हो गई थी। मुकदमे में उसकी पत्नी वंदना शर्मा और मित्र अधिवक्ता विनीत गोलेच्छा को भी नामजद किया गया था। विवेचक इंस्पेक्टर राजेश कुमार पांडेय ने अपनी जांच में सिर्फ मनीष बाबू शर्मा को ही हत्यारोपी माना था। अन्य दो नामजदों को क्लीनचिट दी गई थी। पांच नवंबर 2019 को मुकदमे में अंतिम आख्या लगाई थी। जिसे कोर्ट में पेश किया गया था। दरवेश की भतीजे कंचन यादव ने जांच पर सवाल उठाए थे मगर पुलिस ने उन्हें नजरंदाज कर दिया था। पुलिस का तर्क था कि जो हकीकत थी जांच में आ चुकी है। कानून के जानकार ही इस मुकदमे में मुख्य गवाह हैं।

चश्मदीदों ने बताया था यह घटनाक्रम

12 जून की दोपहर घटना हुई थी। पुलिस को आठ से अधिक चश्मदीद मिले थे। जिन्होंने यह तो बताया कि चैंबर में हत्या कैसे हुई। किसी के बयान में इस बात का जिक्र नहीं है कि दोनों की दोस्ती में दरार क्यों आई। पुलिस ने भी अपनी जांच में इस सवाल की गहराई में जाने का प्रयास नहीं किया।

विवेचक ने केस डायरी में लिखा कि जिसने हत्या की उसने खुद को भी मार लिया। दोस्ती दुश्मनी में तब्दील के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। चश्मदीदों ने अपने बयान में कहा है कि मनीष बाबू शर्मा उस दिन इंस्पेक्टर सतीश यादव को देखकर तमतमा गया था। उसने दरवेश से यह सवाल भी किया था। इसे किसने बुलाया। इसी बात पर तकरार शुरू हुई थी। वह इंस्पेक्टर सतीश यादव को पसंद नहीं करता था। पुलिस ने इंस्पेक्टर सतीश यादव के भी बयान दर्ज किए थे। उसमें भी यह साफ नहीं हुआ कि मनीष उन्हें दरवेश के साथ देखकर क्यों तमतमाया था।

जानें कब क्या हुआ

  • 12 जून-सुबह नौ बजे दरवेश यादव दीवानी परिसर आईं। उनका जगह-जगह स्वागत हुआ।
  • दोपहर ढाई बजे अधिवक्ता डॉ. अरविंद मिश्रा के चैंबर में उनकी हत्या हो गई। साथी अधिवक्ता मनीष बाबू शर्मा ने खुदकुशी का प्रयास किया।
  • पोस्टमार्टम के बाद दरवेश यादव का शव एटा भेजा गया। मनीष बाबू को इलाज के लिए मेदांता रेफर किया गया।
  • 3 जून-हाईकोर्ट के रजिस्टार जनरल मयंक कुमार जैन, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा, राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित दीवानी आईं। एसएसपी और डीएम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। पुलिस ने दीवानी की सुरक्षा बढ़ा दी। एटा में पैतृक आवास चांदपुर में दरवेश के शव का दाह संस्कार किया गया।
  • 14 जून- पुलिस ने अधिवक्ता डॉ. अरविंद मिश्रा, अधिवक्ता सुनील वशिष्ठ, मंजू द्विवेदी, सनी और मनोज कुमार के बयान दर्ज किए।
  • 15 जून -मैनपुरी में तैनात इंस्पेक्टर सतीश यादव को बुलाने के लिए न्यू आगरा थाने से नोटिस भेजा गया।
  • 16 जून-घटना स्थल से बरामद पिस्टल, खाली खोखे और चार मोबाइल फोन जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजे गए। मनीष बाबू शर्मा की कॉल डिटेल निकलवाई गई।
  • 17 जून- यह आरोप लगाया गया कि मनीष बाबू शर्मा को गोली मारी गई थी। उसने खुदकुशी नहीं की है। परिजनों ने भी यह आरोप लगाए। तहरीर तक दी गई। पुलिस ने मनीष की मेडिकल रिपोर्ट पता की। इसके बाद इसे बेबुनियाद बताया।
  • 18 जून- इंस्पेक्टर सतीश यादव से मैनपुरी में स्पष्टीकरण मांगा गया। उसने अपना जवाब दाखिल किया कि जल्दबाजी में बिना अनुमति जिला छोड़ा था।
  • 19 जून-न्यू आगरा पुलिस ने इंस्पेक्टर सतीश यादव से फोन पर संपर्क किया। उन्होंने दरवेश की तेरहवीं के बाद बयान दर्ज कराने आने को कहा। वहीं दूसरी तरफ मनीष की हालत में तेजी से गिरावट आना शुरू हुई।
  • 20 जून-मनीष की किडनी में इंफेक्शन हो गया। उसके शरीर में हलचल होना बंद हो गई। इंस्पेक्टर सतीश यादव आगरा आए अपने बयान दर्ज कराए।
  • 21 जून-इंस्पेक्टर सतीश यादव ने यह दावा किया कि हत्या की साजिश अप्रैल में ही बन गई थी। मनीष ने फोन पर उनसे यह बोला था। उनके पास तीन मिनट की ऑडियो क्लिपिंग है। उधर, मनीष की हालत और बिगड़ गई।
  •  22 जून-दोपहर डेढ़ बजे मनीष बाबू शर्मा ने दम तोड़ दिया।

इन लोगों के दर्ज हुए हैं बयान

सनसनीखेज हत्याकांड में अधिवक्ता डॉक्टर अरविंद मिश्रा, अधिवक्ता विभोर श्रीवास्तव, अधिवक्ता मंजू द्विवेदी, अधिवक्ता सुनील वशिष्ठ, इंस्पेक्टर सतीश यादव, वादी मुकदमा सनी, रिश्तेदार मनोज कुमार, मुंशी उस्मान, कंचन यादव, विनीत गोलेच्छा के बयान दर्ज हुए थे।

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