आगरा: लॉकडाउन में ठप काम तो बेटों ने संभाली कमान, पढ़ें दिल छू जाने वाली 4 कहानी

Smart News Team, Last updated: Wed, 10th Jun 2020, 2:48 PM IST
  • कोरोना लॉकडाउन में छोटे से बड़े हर कामगारों का काम ठप हो गया। ऐसे में जब कई बुजुर्ग पिता कुछ नहीं कर सके तो उनके जवान बेटों ने सब्जी से लेकर शिकंजी तक बेचकर अपने परिवार को संभाल लिया।
कोरोना लॉकडाउन में ठप हो गया काम तो बेटों ने सब्जियां बेचकर संभाली घर की कमान।

आगरा. कोरोना लॉकडाउन में छोटे से बड़े हर कामगार ने तंगी का दौर झेला है। करीब 70 दिनों तक बंद रहे सभी कारोबारों से जुड़े लोग बेहाल रहे। लेकिन इस बेहाली में आगरा जिले के कुछ किशोर ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने पिता के साथ सब्जियों की ठेल लगाईं और लॉकडाउन खुलने के बाद शिकंजी बेची। लॉकडाउन के दौरान कई परिवार ऐसे थे जिनका काम बंद हो गया। घर में खाने के लाले पड़ गए। ऐसे में सिर्फ एक ही काम दिखा। मंडी से सब्जियां लाना और आसपास के इलाके में बेचने जाना। पेश ऐसे ही चार किशोरों की चार कहानियां जो आपका दिल छू लेगी।

कहानी 1- लॉकडाउन में बंद हुई टेलर की दुकान तो पिता फकीर चंद्र संग सब्जी बेच रहा 16 वर्षीय विशाल विशाल

सदर बाजार क्षेत्र के रहने वाले 43 साल के फकीर चंद्र लंबे समय से टेलरिंग का काम करते हैं। उनकी सदर में दुकान भी है। लेकिन मार्च से लगे लॉकडाउन में दुकान बंद हो गई। परिवार के सामने खाने के लाले पड़ गए। ऐसे में फकीर चंद्र ने थाने से सब्जी विक्रेता का पास बनवाया। पहले वह इलाके में अकेले ही सब्जियां बेचने जाते थे। लेकिन जब उनके 16 वर्षीय बेटे विशाल ने देखा कि पिता पर अब ज्यादा जिम्मेदारी आ गई है तो वह भी एक दिन मास्क और दस्ताने पहनकर तैयार हो गया। पिता से निवेदन किया कि मैं भी आपके साथ काम में हाथ बटाऊंगा। वर्तमान में विशाल छावनी परिषद के एक सरकारी स्कूल का छात्र है।

कहानी 2- पान दुकान पर लग गया ताला तो बुजुर्ग पिता के साथ सब्जियां बेचने पर मजबूर 22 वर्षीय मनोज

तोता का ताल (लोहामंडी) निवासी कमल सिंह (72) की राजामंडी स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक की ओर काफी पुरानी पान की दुकान है। वह यात्रियों के लिए नमकीन और पानी जैसे सामान भी बेचते थे। कोरोना को लेकर देशभर में लगे लॉकडाउन में काम बंद हो गया। दुकान से ही चलने वाले परिवार के सामने अब समस्या खड़ी हो गई। परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए उनके 22 वर्षीय बेटे मनोज कुशवाह ने पास बनवाकर इलाके में सब्जियां बेचना शुरू कर दी। अब पिता और पुत्र दोनों मिलकर इलाके में सब्जियां बेच कर अपनी आजीविका चला रहे हैं।

कहानी 3- लॉकडाउन में हटी शिकंजी की ठेली तो 20 साल के राहुल ने उठाई परिवार की जिम्मेदारी

पालीवाल पार्क चौराहे पर रहने वाले गोलू (52) लंबे समय से पालीवाल पार्क में शिकंजी की ठेल लगाते थे। कोरोना संक्रमण को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने ठेली को हटवा दी। अब परिवार के सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। घर में खाने के लाले पड़ गए। तब उनके 20 वर्षीय बेटे राहुल ने परिवार के सामने सुझाव रखा कि जब तक लॉकडाउन चलेगा वह मास्क और सारी सावधानियां बरतते हुए आसपास के क्षेत्र में सब्जियां बेचेगा। तब से राहुल रोजाना मंडी जाकर सब्जियां लाता और अपने क्षेत्र में बेचता। इससे परिवार को काफी मदद मिली। अनलॉक होने पर वह फिर से अपने पिता के साथ पालीवाल पार्क में शिकंजी की ठेल लगा रहा है।

कहानी 4- पिता के हलवाई का काम नहीं चला तो बेटे ने सब्जी बेचकर संभाला अपना परिवार

जिले के थाना हरीपर्वत क्षेत्र में मोतिया की बगीची के रहने वाले बृजकिशोर वर्षों से एक कैटर्स के साथ हलवाई का काम करते हैं। कोरोना संक्रमण के दिनों में कैटर्स का काम बंद है। बृजकिशोर का एक ही बेटा कन्हैया है। लॉकडाउन में परिवार के सामने आई आर्थिक तंगी को देख कन्हैया विचलित हो गया। उसने तय किया कि वह अपने पिता के साथ अपनी गली में सब्जी की ठेल लगाएगा। जब तक लॉकडाउन खत्म नहीं होगा वह मंडी से सब्जियां लाकर बेचेगा। अब कन्हैया रोजाना अपने पिता के साथ मास्क लगाकर सब्जिया बेचता है।

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