आगरा: मरीज को छूने से बच रहे डॉक्टर, इस तरह कर रहे इलाज
- आगरा में डॉक्टर मरीज को छूने से बच रहे हैं. मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों ने ऐसे अलग-अलग तरीके अपना लिए हैं जिसमें दूर से ही इलाज किया जा सके.

कोविड के हमले और लॉकडाउन के बाद चिकित्सा जगत की तस्वीर बदल गई है. मरीज देखने और इलाज करने का तरीका बदल गया है. डाक्टर स्टेथेस्कोप को लगभग भूल गए हैं. लगभग चार महीने के लॉकडाउन में अधिकतर अस्पताल और क्लीनिक बंद रहे. सरकारी अस्पतालों में भी सिर्फ कोविड मरीजों का इलाज चला. अनलॉक के बाद धीरे-धीरे इलाज पटरी पर आया लेकिन कोविड का खौफ इतना कि डाक्टर मरीज को छूने से बच रहे हैं.
चार महीने हाथ पर हाथ धरे बैठे डाक्टरों को भी अस्पताल और स्टाफ का खर्चा चलाना है. लिहाजा मरीज देखना मजबूरी है. 80 फीसद से अधिक डाक्टर मरीजों के सीधे संपर्क में आने से बच रहे हैं. इनमें से कुछ टेली मेडीसिन से ही काम चला रहे हैं. सर्जरी या आपरेशन से बच रहे हैं. इस दौर में ओपीडी चला रहे डाक्टरों ने फीस बढ़ा दी है. निजी अस्पताल अब कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट पर भर्ती कर लेते हैं.
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अब ऐसे देखे जा रहे हैं मरीज
ग्लास वाल- डाक्टर कैप, ग्लब्स, मास्क, फेस शील्ड आदि लगाए रखते हैं. डाक्टर और मरीज के बीच में शीशे की दीवार होती है. थोड़ा तेज बोलना पड़ता है. कंपाउंडर या स्टाफ मरीज की फाइल तैयार करके डाक्टर के सामने पेश करते हैं. डाक्टर मरीज से उसकी परेशानियों पूछकर दवाएं लिख देते हैं.
इंटरकाम - डाक्टर चैंबर में होता है और कांच के दूसरी ओर मरीज. यहां एक फोन भी रखा जाता है. डाक्टर मरीज से इंटरकाम के जरिए बात करते हैं. फाइल के अनुसार दवाएं लिख दी जाती हैं.
ओपन स्पेस- डाक्टर अपने चैंबर से बाहर किसी खुले स्थान पर बैठता है और मरीज को दूर बैठाते हैं. डाक्टर से छह फुट दूर रखी मेज पर मरीज आकर अपने कागजात रखेगा. स्टाफ के लोग डॉक्टर को कागज देंगे और दूर से ही डाक्टर मरीज से बात करेंगे. डाक्टर पर्चे पर दवा लिखेगा जो स्टाफ का सदस्य मरीज तक पहुंचाएगा.
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टेली मेडीसिन- डाक्टरों के नंबरों पर बुकिंग होती है. गूगल-पे, पेटीएम आदि से एडवांस में फीस ली जाती है. फीस आने के बाद मरीज के मोबाइल नंबर पर काल करने का समय भेज दिया जाता है. जरूरी होने पर वीडियो कालिंग भी की जाती है. वाट्सएप पर दवा लिखा पर्चा भेजा जाता है.
प्रिवेंटिव प्रॉसेस- डाक्टर पूर्ण सुरक्षा प्रबंधों के साथ मरीजों को देखते हैं. बहुत जरूरी होने पर पीपीई किट भी पहनते हैं, अन्यथा एन-95 मास्क के ऊपर सर्जीकल मास्क, ग्लब्स, फेस शील्ड, सेनेटाइजेशन जैसे इंतजामों के साथ ओपीडी चलाई जाती है. कुछ डाक्टर मरीज को छूकर भी देख लेते हैं.
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