आगरा: मुहर्रम के मौके पर जूम एप पर होंगी मजलिसें , नहीं निकलेंगे ताजिया

आगरा. शहर में कोरोना संक्रमण के बिगड़ते हालात को देखते हुए इस बार मजलिसें वीडियो कॉल पर होंगी. 21 अगस्त को शुरु हो रहे गम के महीने में इस बार कोरोना संक्रमण के कारण भले ही ताजिया का जुलूस न निकले, लेकिन घरों के अंदर ही अजाखानों की सजावट हमेशा की तरह ही होगी और आनलाइन मजलिसें होंगी. आगरा में शिया समुदाय में मोहर्रम की तैयारियां शुरू हो गईं हैं.
जानकारी के मुताबिक इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम होता है. चांद को देखने के बाद इस महीने की शुरुआत मानी जाती है. इस बार 20 अगस्त को मुहर्रम का चांद दिखने की उम्मीद है जिसके बाद 21 अगस्त को मुहर्रम मनाया जाएगा. इस बार इमामबारगाहों पर भीड़ नहीं जुट सकेगी.
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लोगों को अपने- अपने घरों में रहकर ही हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करना होगा. इस बार शहर में प्रमुख जगहों के भी ताजिया नही निकल सकेंगें. जिले के शाहगंज और न्यू आगरा की दरगाह शहीद-ए-सालिस में मोहर्रम के मौके पर जो भी कार्यक्रम होते थे इस बार सब आनलाइन होंगे. इसके साथ ही पाय चौकी से जो सबसे बड़ा फूलों का ताजिया निकलता था वो इस बार नही निकल सकेगा
इमामे जुमा आगरा शहजाद हुसैन बिलग्रामी ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा इमामबारगाहों में केवल पांच लोगों को मजलिस में शामिल होने की इजाजत मिली है.बाकी लोग अपने-अपने घरों में जूम एप के मदद से शामिल होकर मजलिस करेंगे. इसके साथ ही हर बार शहर के बाहर से आने वाले मौलाना भी नही आ सकेंगे.
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