शाहजहां के ताज से पहले नूरजहां ने बनवाया था बेबी ताज महल, जानिए इतिहास
- बेबी ताज महल के नाम से मशहूर इस इमारत को दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक विश्वप्रसिद्ध ताजमहल से भी पहले बनाया गया था. मकबरे का निर्माण जहांगीर की पत्नी नूरजहां ने अपने माता-पिता मिर्जा ग्यासबेग और उनकी पत्नी के लिए कराया था.
उत्तर प्रदेश के जिले आगरा शहर में खूबसूरत किलों और मकबरों की भरमार है. यहां मुगलिया संस्कृति से जुड़ी कई इमारतों को देखा जा सकता है. इन्हीं खूबसूरत इमारतों में से एक है एत्माद-उद-दौला का मकबरा कहा जाता है कि संगमरमर से बनने वाली यह भारत की पहली इमारत है. जो देखने में ताजमहल के आकार की लगती है. इतना ही नहीं, इमारत को 'बेबी ताजमहल' के नाम से भी जाना जाता है. बेबी ताज महल के नाम से मशहूर इस इमारत को दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक विश्वप्रसिद्ध ताजमहल से भी पहले बनाया गया था. इस इमारत का निर्माण सन 1622 से 1628 के बीच मुगल बादशाह जहांगीर के शासन काल में हुआ था.
मकबरे का निर्माण जहांगीर की पत्नी नूरजहां ने अपने माता-पिता मिर्जा ग्यासबेग और उनकी पत्नी के लिए कराया था. यह मकबरा आकार में भले ही छोटा है, लेकिन देखने में काफी खूबसूरत है. मकबरे को 23 स्क्वायर फीस में बनाया गया है जो कि यमुना नदी के पूर्वी किनारे पर बना हुआ है. मकबरे के चारों और बागीचा है, जिसमें पानी की आड़ी-तिरछी कई धाराएं बहती हैं. यह धाराएं न केवल गार्डन को चार भागों में बांटती हैं बल्कि इसके सौंदर्य को भी बढ़ाती हैं.
इस इमारत में बहुरंगी अलंकरण और नक्काशी के साथ गुलदस्ता, गुलाब-जल के कलश, अंगूर, शराब की प्यारी और बोतल की आकृतियों को उकेरा गया है. बताया जाता है कि ताजमहल को इस इमारत की प्रेरणा से ही निर्मित किया गया था. एत्माद-उद-दौला कैसे आया जाए: यहां हवाई रास्ते, सड़क मार्ग और रेल मार्ग द्वारा आसानी से आया जा सकता है. यहां का नजदीकी एयरपोर्ट खेड़िया हवाईअड्डा है, जहां से प्राइवेट टैक्सी कर एत्माद-उद-दौला आया जा सकता है.
वहीं सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन आगरा कैंट है जहां से एत्माद-उद-दौला के लिए टैक्सी, ऑटो व बस आसानी से मिल जाएगी. इसके अलावा आगरा के लिए राज्य भर से बसें चलती हैं, जिसके जरिए यहां पहुंचा जा सकता है. कब घूमने आएं एत्माद-उद-दौला: जहां गर्मी में आगरा का तापमान अधिक होता है तो वहीं सर्दियों में यहां काफी कोहरा रहता है. ऐसे में अक्टूबर से दिसंबर और फरवरी से अप्रैल तक का महीना यहां घूमने के लिए बेस्ट रहता है.
कितनी लगती है टिकट: भारत की जनता, सार्क देशों और बिम्सटेक देशों के लिए यहां की एंट्री टिकट 10 रुपए है. जबकि विदेशी लोगों को एत्माद-उद-दौला घूमने के लिए 250 रुपए से 500 रुपए तक चुकाने पड़ सकते हैं. वहीं 15 साल से कम उम्र के बच्चों की कोई टिकट नहीं लगती है.
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