कोरोना के कारण 374 साल में पहली बार नहीं लगेगा आगरा के बेटश्वर में मेला

Smart News Team, Last updated: Thu, 5th Nov 2020, 11:32 PM IST
  • आगरा के बटेश्वर में पिछले 374 सालों से लगातार प्रमुख मेला श्री बटेश्वरनाथ लगता आ रहा है. लेकिन कोरोना वायरस के कारण बीते 374 सालों की यह परंपरा इस साल टूट जाएगी. दरअसल, कोरोना महामारी के कारण जिला प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि आगरा के बटेश्वर में इस साल यह मेला नहीं लगेगा.
374 साल में पहली बार नहीं लगेगा आगरा के बेटश्वर में मेला

आगरा: आगरा के बटेश्वर में पिछले 374 सालों से लगातार प्रमुख मेला श्री बटेश्वरनाथ लगता आ रहा है. हर बार इस मेले में लाखों की भीड़ उमड़ती है. लेकिन कोरोना वायरस के कारण बीते 374 सालों की यह परंपरा इस साल टूट जाएगी. दरअसल, कोरोना महामारी के कारण जिला प्रशासन ने यह निर्णय लिया है कि आगरा के बटेश्वर में इस साल यह मेला नहीं लगेगा. जिला प्रशासन ने यह निर्णय महामारी के दौरान उमड़ने वाली लाखों की भीड़ को लेकर किया है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस मेले के जरिए उन्हें रोजगार मिलता था.

जिला प्रशासन के इन निर्णय को लेकर यहां लोगों के साथ-साथ व्यापारियों में भी मायूसी छाई हुई है. बता दें कि दिवाली से दो दिन पहले ही यह मेला लगना शुरू हो जाता था और अगहन मास की पंचमी तक चलता है. मेले को लेकर ही मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) जे. रीभा ने जिला पंचायत प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि कोरोना से संबंधित गाइडलाइन्स के कारण इस मेले को अनुमति नहीं दी जा सकती है. क्योंकि मेले में लाखों श्रद्धालुओं का आते हैं और इस चीज को ही ध्यान में रखते हुए इस बार बटेश्वर मेला आयोजित नहीं किया जाएगा.

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बताया जाता है कि 1646 में तत्कालीन भदावर नरेश बदन सिंह ने बटेश्वर में एक कोस लंबा अर्द्धचंद्राकार बांध बनवाकर यमुना का बहाव मोड़ा था. इसी बांध पर 101 शिव मंदिर शृंखला बनी है. तभी उन्होंने उत्तर भारत का प्रमुख मेला श्री बटेश्वरनाथ की शुरुआत की थी. जिला पंचायत द्वारा आयोजित बटेश्वर मेले के पहले चरण में बैल, गाय, दूसरे चरण में घोडे़, ऊंट, गधे और खच्चर आदि जानवरों का मेला लगता है. वहीं, 

तीसरे चरण में लोक मेले का आयोजन होता है, जिसमें एकादशी, पूर्णिमा दौज को महामंडलेश्वर बाबा बालक दास के नेतृत्व में नागा शाही स्नान करते हैं.

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