लॉकडाउन ने बढ़ाई दिलों की दूरियां, बॉयफ्रेंड से न मिलने पर तनाव में लड़कियां

Smart News Team, Last updated: Fri, 19th Jun 2020, 5:51 PM IST
  • 14 से 22 साल की लड़कियों में बीपी, शुगर और डिप्रेशन लगातार बढ़ रहा है। माता-पिता तांत्रिकों का सहारा ले रहे हैं। सर्वाधिक केस युवतियों के आए हैं। जिनमें ज्यादातर मामले प्रेम प्रसंग या दोस्ती के हैं।
प्रतीकात्मक तस्वीर

कोरोना लॉकडाउन में घर से न निकलने की बंदिशें और बॉयफ्रेंड से दूरी ने लड़कियों को तनाव में ला दिया है। कोरोना संक्रमण काल में लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो रहीं हैं। इनमें तनाव सबसे बड़ी परेशानी के तौर पर सामने निकलकर आ रहा है। ये हम नहीं कह रहे हैं। समस्त थानों की रिपोर्ट, मनोचिकित्सक की और काउंसलर्स की रिपोर्ट बयां कर रही हैं।

आगरा जिला महिला चिकित्सालय में तीन दिन पहले साथिया केंद्र का शुभारंभ किया गया है। जिसमें डिप्रेशन और तनाव से संबंधित सर्वाधिक केस आ रहे हैं। काउंसलर रेनु तोमर और रुबी बघेल ने बताया कि लॉकडाउन से पहले भी केस आ रहे थे, लेकिन अब काउंसलिंग केंद्र पर लगातार ऐसे केस आ रहे हैं जो हैरान कर देने वाले हैं।

14 से 22 साल की लड़कियों में बीपी, शुगर और डिप्रेशन लगातार बढ़ रहा है। माता-पिता तांत्रिकों का सहारा ले रहे हैं। सर्वाधिक केस युवतियों के आए हैं। जिनमें ज्यादातर मामले प्रेम प्रसंग या दोस्ती के हैं। जिनमें ब्रेकअप बीमारी दे रहा है। इनमें से कुछ युवतियों के साथियों ने आत्महत्या तक की है। काउंसलर्स ने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि इतनी संख्या में बीपी और शुगर बढ़ रही है। इससे पहले किशोरियां एनिमिक तो होती थीं, लेकिन अब ये बीमारियां और निकल रहीं हैं।

कॉलेज जाना बंद, फोन भी नहीं उठा रहा

शाहगंज की किशोरी बीबीए कर रही है। दिल्ली के प्रतिष्ठित कॉलेज में पढ़ती है। लॉकडाउन के बाद कॉलेज जाना नहीं हुआ। बॉयफ्रेंड ने फोन उठाना बंद कर दिया है। दो महीने से किशोरी डिप्रेशन में है। जबकि माता- पिता को इसकी जानकारी नहीं है। वो तांत्रिकों को दिखा रहे हैं।

युवती की हालत काफी खराब हो चुकी

कमलानगर की युवती प्रतिष्ठित कंपनी में एचआर पद पर थी। लॉकडाउन के बाद घर आना नहीं हुआ। परिजन जब लॉकडाउन के बाद पहुंचे तो युवती की हालत काफी खराब हो चुकी थी। इलाज करवाया, तांत्रिकों को दिखाया। काउंसिलंग के बाद लेकर आए तो डिप्रेशन में है। कारण बॉयफ्रेंड से अलगाव।

ऐसे आए हैं केस

5 से 7 केस प्रतिदिन आते हैं जिनमें ब्रेकअप का मामला

10- 15 केस एनिमिक

10- 12 किशोरियों को बीपी, शुगर की बीमारी

काउंसलर रुबी बघेल का कहना है कि डिप्रेशन दो तरह का होता है। एक ऐसा कि कुछ समय बाद खुद ही सामान्य हो जाता है। एक ऐसा होता है कि अवसाद में चले जाते हैं। खुद का कोई होश नहीं रहता। सुध-बुध भूल जाते हैं। जिसके चलते तमाम बीमारियां घेर लेती हैं। लोग बजाए दवाओं के तांत्रिक का सहारा लेने लगते हैं। ऐसे ही केस 70 प्रतिशत आ रहे हैं। जिसमें महिलाएं और किशोरियां शामिल हैं।

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