प्रकृति से खिलवाड़: ताजनगरी आगरा में 10 वर्ष में 9 वर्ग किमी हरियाली हुई
- ताजनगरी में प्रकृति के साथ एक दशक से लगातार हो रहा है खिलवाड़. धरती का शृंगार हरियाली खत्म की जा रही है तो भूगर्भ से पानी गया है खींचा
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आगरा। विश्व प्रकृति दिवस आज देशभर में मनाया गया. यह दिन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति को सहेजने का संकल्प लेने का है. लेकिन ताजनगरी में प्रकृति के साथ एक दशक से लगातार खिलवाड़ हो रहा है. धरती का शृंगार हरियाली खत्म की जा रही है तो भूगर्भ से इतना पानी खींचा गया है कि अब पाताल तक पानी पहुंच गया है. प्रकृति को सहेजने की जगह नौ किमी का जंगल साफ कर दिया गया और 90 फीट से ज्यादा पानी इन 10 वर्षों में नीचे उतर गया है.
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आपको बता दें कि आगरा समेत ताज ट्रिपेजियम जोन (टीटीजेड) में एक पेड़ काटने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट की अनुमति चाहिए लेकिन इतनी सख्ती के बाद भी ताजनगरी का हरित क्षेत्र (ग्रीन कवर) घट गया. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में आगरा का हरित क्षेत्र 9.38 वर्ग किमी घट गया.वर्ष 2017 की रिपोर्ट में हरित क्षेत्र 272 वर्ग किमी था. जो 2019 में घटकर 262.62 वर्ग किमी रह गया. खुले जंगल में 9.06 वर्ग किमी और मध्यम घनत्व वाले जंगल में 0.32 वर्ग किमी की कमी पाई गई.
वहीं एक दशक में आगरा में वन क्षेत्र 6.85 फीसदी से घटकर 6.69 फीसदी रह गया है. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे, इनर रिंग रोड, माल रोड, नेशनल हाईवे, रेलवे, बिजली परियोजनाओं के लिए एक दशक में दनादन पेड़ काटे गए हैं. 1.25 लाख पेड़ों पर विभिन्न योजनाओं और प्रोजेक्ट में आरी चलाई जा चुकी है.
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