Radhashtami 2021: कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद होती है राधाष्टमी, जानिए व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Pallawi Kumari, Last updated: Wed, 1st Sep 2021, 8:20 AM IST
  • कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद राधाष्टमी की पूजा की जाती है. इस बार 14 सिंतबर को राधाष्टमी का त्योहार पड़ रहा है. कृष्ण जन्माष्टमी की तरह राधाष्टमी भी मथुरा, वृंदावन और बरसाना में धूम-धाम से मनाई जाती है. आइये जानते हैं राधाष्टमी की पूजा विधिऔर शुभ मुहुर्त.
कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाष्टमी पूजा, फोटो साभार-लाइव हिन्दुस्तान

जब जब मुख पर श्रीकृष्ण हरी का नाम आता है तब तब राधा नाम खुद ही लिया जाता है. राधाकृष्ण दो ऐसे नाम हैं जो सदा के लिए एक साथ जुड़ गए. राधाष्टमी भी कृष्ण जन्माष्टमी जितनी ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसलिए भगवान श्री कृष्ण की अराधना राधा के बिना अधूरी मानी जाती है. क्योंकि शास्त्रों में राधा को शाश्वत शक्तिस्वरूप और प्राणों की अधिष्ठात्री देवी के रूप में बताया गया है.राधारानी का जन्म भाद्रपद मास के शुल्क की अष्टमी को हुआ था. इस बार राधाष्टमी का त्योहार 14 सिंतबर को पड़ रहा है. इस दिन हर साल की तरह राधाष्टमी मनाई जाएगी.

राधाष्टमी पूजा विधि- इस दिन सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद किसी मंडप में मंडल बनाकर उसके बीच में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें. ताबे या मिट्टी के पात्र के ऊपर दो वस्त्रों से ढकी हुई राधारानी की स्वर्णमयी सुंदर मूर्ती स्थापित करें. अब राधारानी की पूजा करें. राधा अष्टमी के दिन पूजा मध्यान्ह में की जाती है और अगले दिन स्त्रियों को भोजन करना के बाद खुद खाना चाहिए.

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राधा अष्टमी 2021 का शुभ मुहूर्त- नारद पुराण के मुताबिक देवी राधा का पूजन दोपहर के समय करना चाहिए.

अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 सितंबर 2021 दोपहर 03:10 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त: 14 सितंबर 2021 दोपहर 01:09 बजे

राधाष्टमी व्रत का महत्व- कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधाष्टमी का भी खास महत्व होता है. इसलिए श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए राधाष्टमी भी नहीं चाहिए. राधा रानी की पूजा के बिना कृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है. श्री राधा कृष्ण जिनके इष्टदेव हैं, उन्हें राधाष्टमी का व्रत जरूर करना चाहिए. उनके लिए राधाष्टमी का व्रत श्रेष्ठ माना जाता है. इस व्रत को करने से भक्तों के घर में हमेशा ही लक्ष्मी जी का वास होता, जो भक्त यह व्रत करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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