राधाष्टमी पूजा मंत्र: राधाजी के दिव्य मंत्र, जिसके जाप से मिलेंगे चमत्कारी लाभ
- राधाष्टमी के पर्व का हुिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. ये पर्व राधा रानी को समर्पित होता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी इस व्रत को विधि-विधान से करता है, राधा रानी और श्रीकृष्ण उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.

राधिका जी को लेकर कहा जाता है कि वो कृष्ण के वाम भाग से प्रकट हुईं थी. प्रेम की देवी के नाम से भी राधा जी को जाना जाता है. क्योंकि राधा का प्रेम बहुत ही ज्यादा निर्मल और निस्वार्थ था. वो परम शांत, परम कमनीय और बेहद ही सुशील थीं. श्रीकृष्ण के अर्द्धांग से प्रकट हुईं थी इसलिए उन्हें श्रीकृष्णस्वरूपा के नाम से भी जाना जाता है. इस दुनिया से परे राधा और कृष्ण के प्रेम निशिछल है. ऐसे में राधा जी के चमत्कारी मंत्र का जाप करने से बहुत लाभ मिलता है.
श्रीराधायै स्वाहा
इस मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए
सप्ताक्षर राधामंत्र:
ऊं ह्नीं श्रीराधायै स्वाहा।
अष्टाक्षर राधामंत्र:-
ऊं ह्रीं श्रीराधिकायै नम:।
ऊं ह्रीं श्रीं राधिकायै नम:।
इस मंत्र का 16 लाख बार जाप करने पर भक्तों के सार्य कार्य सफल हो जाते हैं.
भगवान नारायण द्वारा श्रीराधा की स्तुति
नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।
रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।।
ब्रह्मा विष्णु द्वारा राधा जी की वंदना
नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे।
ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।।
वन्दे वृन्दावनानन्दां राधिकां परमेश्वरीम्।
गोपिकां परमां श्रेष्ठां ह्लादिनीं शक्तिरुपिणीम्।।
मेरी भव बाधा हरौ राधा नागरि सोइ।
जा तनकी झाँईं परै स्याम हरित दुति होइ।।
हेमाभां द्विभुजं वराभयकरां नीलाम्बरेणादृतां
श्यामक्रोडविलासिनीं भगवतीं सिन्दूरपुज्जोज्ज्वलाम्।
लोलाक्षीं नवयौवनां स्मितमुखीं बिम्बाधरां राधिकां
नित्यानन्दमयीं विलासनिलयां दिव्यांगभूषां भजे।।
श्रुतियों में श्रीराधा के अट्ठाईस नाम:-
१. राधा,
२. रासेश्वरी,
३. रम्या,
४. कृष्णमन्त्राधिदेवता,
५. सर्वाद्या,
६. सर्ववन्द्या,
७. वृन्दावनविहारिणी,
८. वृन्दाराध्या,
९. रमा,
१०. अशेषगोपीमण्डलपूजिता,
११. सत्या,
१२. सत्यपरा,
१३. सत्यभामा,
१४. श्रीकृष्णवल्लभा,
१५. वृषभानुसुता,
१६. गोपी,
१७. मूलप्रकृति,
१८. ईश्वरी,
१९. गन्धर्वा,
२०. राधिका,
२१. आरम्या,
२२. रुक्मिणी,
२३. परमेश्वरी,
२४. परात्परतरा,
२५. पूर्णा,
२६. पूर्णचन्द्रनिभानना,
२७. भुक्तिमुक्तिप्रदा,
२८. भवव्याधिविनाशिनी।
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