Rangbhari Ekadashi 2022: कब है हिंदू वर्ष की अंतिम एकादशी, शिव-पार्वती से है संबंध

Pallawi Kumari, Last updated: Thu, 10th Mar 2022, 4:02 PM IST
  • एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. हिंदू वर्ष की अंतिम एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव माता पार्वती को गौना कर कैलाश लेकर आए थे.
रंगभरी एकादशी शिव-पार्वती पूजा (फोटो-लाइव हिन्दुस्तान)

हिंदू धर्म में हर महीने कई तीज-त्योहार और व्रत आदि होते हैं. लेकिन एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है. हर माह के दोनों पक्षों में (शुक्ल और कृष्ण) दो एकादशी तिथि पड़ती है. फाल्गुन माह हिंदू कैलेंडर का आखिरी महीना होता है. इसके बाद चैत्र माह के साथ नववर्ष की शुरुआत हो जाती है. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की तिथि के दिन पड़ने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. इसलिए इसे आमलकी एकादशी भी कहते हैं.

इस बार रंगभरी या आमलकी एकादशी का व्रत 13 मार्च को रखा जाएगा. वहीं उदया तिथि के अनुसार कुछ लोग 14 मार्च को ये व्रत रखेंगे. वैसे तो एकादशी तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है. लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन विष्णुजी के साथ शिवजी और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है.  इस दिन शिवजी की पूजा के साथ शिव मंत्र और चालीसा पढ़ना फलदायी होता है.

Meen Sankranti 2022 : 15 मार्च को मीन संक्रांति, एक महीने तक नहीं होंगे शुभ काम

कहा जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव को गौना के बाद पहली बार काशी लेकर आए थे. इसलिए हर साल इस दिन बाबा विश्वनाथ और माता गौरा का भक्त रंग गुलाल उड़ाते हुए धूमधाम से स्वागत करते हैं. शिव भक्तों के लिए तो इसी दिन से होली की शुरुआत हो जाती है.

रंगभरी एकादशी तिथि और मुहूर्त

रंगभरी एकादशी तिथि आरंभ- रविवार 13 मार्च, सुबह 10:21 मिनट पर.

रंगभरी एकादशी तिथि समाप्त- सोमवार 14 मार्च, दोपहर 12:05 मिनट तक.

रंगभरी एकादशी पूजा शुभ मुहूर्त- दोपहर 12:07 मिनट से दोपहर 12:54 मिनट तक.

उदयातिथि के अनुसार 14 मार्च को रंगभरी एकादशी का व्रत रखा जाएगा और पूजा की जाएगी.

Holi 2022: किसी भी कलर के कपड़े पहन न खेलें होली, जीवन में सुख-समृद्धि लाता है ये रंग

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें