आज है वरलक्ष्मी व्रत, यहां जानें पूजा का महत्व, समय और व्रत की कथा
- वरलक्ष्मी का व्रत आज यानी 20 अगस्त को है. इस व्रत को जो भी महिलाएं विधि-विधान से रखती हैं. उसका घर धन संपत्ति से भरा होता है. इतना ही नहीं बल्कि इस व्रत को रखने वाली महिला को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.

वरलक्ष्मी का व्रत रक्षाबंधन से पहले जो शुक्रवार पड़ता है उस दिन रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को जो भी लोग रखते हैं उनके घर से दुख और दरिद्रता दूर चली जाती है. इतना ही नहीं बल्कि लक्ष्मी जी उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. जो लोग विधि-विधान से इस व्रत को रखते हैं, उनके घर में सुख-संपत्ति आती है. ऐसे में आज यानी 20 अगस्त को वर लक्ष्मी का व्रत पड़ा है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है.
ये है वर लक्ष्मी व्रत पूजा का समय
20 अगस्त 2021 को वरलक्ष्मी व्रतम् शुक्रवार
5 बजकर 53 ए एम से 7 बजकर 59 ए एम- सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (सुबह)
अवधि- 2 घंटे और 6 मिनट की रहेगी
12 बजकर 35 पी एम से 2 बजकर 54 पी एम- वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (अपराह्न)
अवधि- 2 घंटे 19 मिनट तक रहवे वाली है
6 बजकर 40 पी एम से 8 बजकर 7 पी एम- कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त
अवधि- 1 घंटा 27 मिनट्स
11 बजकर 7 पी एम से 1 बजकर 3 ए एम, अगस्त- वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि)
अवधि- 1 घंटा 56 मिनट
ये है वरलक्ष्मी व्रत कथा-
ऐसी मान्यता है कि माता पार्वत को भगवान शिव ने वरलक्ष्मी व्रत की कथा सुनाई थी. इस कथा के अनुसार मगध देश में कुंडी नामक एक नगर हुआ करता था. इस नगर का निर्माण सोने के द्वारा किया गया था. इस नगर में एक महिला रहती थी, जिसका नाम चारुमती थी. अपने पति का चारुमति बहुत ही ज्यादा ख्याल रखा करती थीं. साथ ही चारुमति मां लक्ष्मी की भी बहुत बड़ी भक्त थी. वो मां लक्ष्मी का व्रत हर शुक्रवार तो रखा करती थी. ऐसे में चारुमती से मां लक्ष्मी बेहद प्रसन्न हुईं . एक बार चारुमती के सपने में मां लक्ष्मी आईं थी, और उसे वरलक्ष्मी व्रत रखने के लिए कहा था. सभी महिलाओं के संग मिलकर चारुमती इस व्रत को विधि-विधान से रखा करती थीं. चारुमती ने जैसे ही वरलक्ष्मी की पूजा संपन्न की उसके शरीर पर कई सोने के आभूषण सजे हुए नजर आने लगे. चारुमती का घर भी धन- धान्य से भरपूर हो गया. चारुमती को देख उस नजर की प्रत्येक महिनला ने व्रत रखना शुरू कर दिया. तभी से वरलक्ष्मी व्रत के रूप में इस व्रत को मान्यता मिली. हर वर्ष महिलाएं इस व्रत को विधि-विधान से करने लगीं.
ये है वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
महाल्क्ष्मी का अवतार माता वरलक्ष्मी को माना जाता है. सभी मनोकामनाओं को माता वरलक्ष्मी पूर्ण कर देती हैं. यही कारण है कि वर और लक्ष्मी के मेल से उनका नाम वरलक्ष्मी रखा गया है. जो भी इस व्रत को रखता है उसकी धन संबंधी सारी दिक्कतें दूर हो जाती है. घर में धन-समृद्धि की बरसात होती है. विवाहित स्त्रियां ही खास तौर से इस व्रत को करती हैं, जो इस व्रत को रखता है उसे संतान सुख की भी प्राप्ति होती है.
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