हमीदिया में आगजनी के बाद कई बच्चों की हालत नाजुक, परिजन बोले हमें बेटा दे दो प्राइवेट अस्पताल चले जाएंगे
- भोपाल में बीती रात सरकारी हमीदिया अस्पताल परिसर के कमला नेहरू अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड में हुए दर्दनाक हादसे में बच्चों की मौत हो गई लेकिन अभी भी घायल आधा दर्जन से अधिक बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें परिजन वार्ड के सामने अपने बच्चे को लेने के लिए हाथ फैलाये नजर आए, परिजन का साफ कहना था कि हमें हमारा बच्चा दे दो, हम उसे लेकर प्राइवेट अस्पताल चले जाएंगे.

भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीती रात सरकारी हमीदिया अस्पताल परिसर के कमला नेहरू अस्पताल के नवजात शिशु वार्ड में हुए दर्दनाक हादसे चार बच्चों की मौत हो गई लेकिन अभी भी घायल हुए आधा दर्जन से अधिक बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है. बताया जा रहा कि बच्चों की मौत का आंकड़ा अभी बढ़ सकता है.प्रत्येक लोग अपने बच्चे को लेकर रोता बिलखता और गुहार लगाते हुए दिख रहे है. जिसमें से ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें परिजन वार्ड के सामने अपने बच्चे को लेने के लिए हाथ फैलाये नजर आए, उनका परिजन साफ कहना था कि हमें हमारा बच्चा दे दो, हम उसे लेकर प्राइवेट अस्पताल चले जाएंगे.
चाइल्ड वार्ड में जब आग लगी, तब कई बच्चे वार्ड में थे और वहां चारों तरफ धुआं ही धुआं. चाइल्ड वार्ड में से बच्चों को निकालने का काम किया जा रहा था. तब पुलिस ने बिल्डिंग में किसी को भी जाने की परमिशन नहीं दिया. आग के धुएं में बच्चे और बाहर उनके परिजन रोते बिखलते हुए दिख रहे थे. रातभर अस्पताल के बाहर चीख-पुकार मचने के बाद जब सुबह हुई तो ससकियों में बदल गईं. कड़ी मशक्कत के बाद आग को बुझा दिया गया.
मंगलवार को दोपहर में हालात का जायजा लेने पत्रिका प्रतिनिधि बर्न वार्ड के पास पहुंचा. अस्पात के बाहर बैठे लोगों ने उन्हें घेर लिया और मांग करने लगी परिजन ने कहा कि साहब, मुझे मेरा बच्चा दिलवा दो.गुना से आई सरोज बिलखने लगी, वह बोली मेरी सात बेटियों के बाद बेटा हुआ है. बेटे को निमोनिया हुआ तो गुना के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था. उन्होंने हमीदिया में रेफर कर दिया. 9 दिन से बच्चा इस अस्पताल में भर्ती है. आग लगने के बाद हम विनती करती रही कि मेरे बच्चे को डिस्चार्ज कर दो, हम निजी अस्पताल में इलाज करा लेंगे. डॉक्टर ने कहा कि उसकी पल्स रेट अभी ठीक नहीं है. बच्चा सर्जरी से पैदा हुआ. मां के तो टांके भी नहीं कटे हैं. उसके साथ पति मुन्ना, उसकी मां, देवर आदि भी रुके हुए हैं. वे कहती रही कि हादसे के बाद एक बार बच्चे को दिखाया है.
चाइल्ड वार्ड के गेट के सामने बैठे जगदीश नाम के व्यक्ति से नर्स ने कुछ कहा और वह दौड़कर वार्ड में अंदर चला गया. जिसके बाद बाहर आया और बिलखने लगा. तब उसकी मां जल्द खड़ी हो गई और चिल्लाने लगी कि हमारा बच्चा सुबह तक तो ठीक था. तो वह कैसे मर गया. हमसे जो आपने कहा वह सब हमने लाकर दिया.सुबह ही आपके कहने पर हमने ब्लड मुश्किल से लाकर दिया फिर बच्चा कैसे मर गया.यहां लापरवाही हुई है. उसने कहा कि हमें हमारा बच्चा जिंदा चाहिए. सबके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए.
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