एम्स भोपाल ने दी मरीजों को राहत, इन जांच पर नहीं लगेगा शुल्क
- एम्स भोपाल ने मरीजों के राहत देने के लिए 50 रूपए से कम में होनी वाली जांच को फ्री कर दिया है. इससे मरीजों को लंबी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा. ओपीडी पंजीकरण का समय आधे घंटे से बढ़ाकर एक घंटे किया जाएगा.

भोपाल. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों पर बोझ कम किया जा रहा है. पचास रुपये से कम शुल्क वाली जांच की फीस नहीं देनी होगी. इससे आने वाले मरीजों पर से आर्थिक बोझ कम होगा और जांच के लिए लंबी लाइनें भी नहीं लगानी पड़ेगी. एम्स भोपाल में एक ऐसा साफ्टवेयर तैयार किया जा जिसमें मरीज की डिटेल डालने पर सारी रिपोर्ट उपलब्ध हो जाएगी.
एम्स के अध्यक्ष डॉ. वायके गुप्ता ने बताया कि अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव स एक से दो दिन के अंदर इसका संचालन शुरू करने को कहा गया. ये फैसला जांच के लिए लगने वाली लंबी लाइन को देखते हुए लिया गया है जिसके लिए ओपीडी पंजीकरण का समय आधे घंटे से बढ़ाकर एक घंटे किया जाएगा.
इन जांच पर नहीं लगेगा शुल्क:
स्टूल माइक्रोस्कोपी, पैपस्मीयर, सीरम क्रेटनिन, यूरिन आरएम, ट्राइग्लिसराइड, हेपेटाइटिस बी एवं सी एंटीजन, पेशाब में एल्बुमिन की जांच, हीमोग्राम, सीरम प्रोटीन, सीरम एल्बुमि, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्राल आदि.
ओटी न शुरू होने की वजह टेक्नीशियन की कमी:
एम्स के निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि एम्स के ओटी ब्लाक में कुल 20 ऑपरेशन थियेटर हैं जिनमें से 10 शुरू हो चुके हैं. चार पहले से चालू हैं. इनके संचालन के लिए 14 एनेस्थीसिया विशेषज्ञ भी हैं, लेकिन ओटी टेक्नीशियन न होने की वजह से इसे चालू करने में कठिनाई आ रही है. अस्पतालों में इन पदों की मांग ज्यादा है लेकिन प्रत्येक विभाग के लिए एक या दो ही पद हैं. जिसके कारण ओटी शुरू करने में कठिनाई आ रही है. यहां टेक्नीशियन के सिर्फ 82 पद ही स्वीकृत हैं. इसके लिए इच्छुक नर्सिंग स्टाफ को ओटी टेक्नीशियन के तौर पर प्रशिक्षण देने का फैसला लिया गया है. टेक्नीशियन पद की कमी सिर्फ एम्स भोपाल में नहीं है सभी एम्स की यही हालत है. टेक्नीशियन के पद आवश्यकता से बहुत कम स्वीकृत किए गए हैं. साथ ही डॉ. सरमन ने बताया कि अस्पताल के लिए दो एकमो मशीनें खरीदी जाएंगी. ये मशीनें कृत्रिम फेफड़े का काम करती हैं. य मशीन हैदराबाद के अलावा कहीं नहीं है. कोरोना के समय में ये मशीन बहुत लाभदायक है कभी-कभी गंभीर मरीजों को इस मशीन पर रखना पड़ता है. प्राइवेट अस्पताल मरीजों को इस मशीन पर रखने का एक लाख रूपये तक वसूलते हैं. जो हर किसी के बस की बात नहीं होती है.
पैरामेडिकल और पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट बनाया जाएगा:
एम्स भोपाल 20 एकड़ में पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट और पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट खोलने की योजना बना रहा है. जिसमें टेक्नीशियन के लिए स्नातक, स्नातकोत्तर, पीएचडी कोर्स शुरू किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट में पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट में एमबीए व मैनेजमेंट के अन्य कोर्स भी शुरू होंगे.
इसके अलावा एम्स भोपाल ने ट्रांसप्लांट यूनिट शुरू करने की योजना भी तैयार की है. कुछ समय बाद किडनी के अलावा अन्य अंग का भी ट्रांस्प्लांट किया जा सकेगा. हमीदिया अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लाट पहले से शुरू हो चुका है लेकिन किन्हीं कारणों से एम्स में शुरू नहीं हो पाया था. लेकिन एम्स में भी ये सुविधा जल्द मिलेगी.
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