माकपा का नरोत्तम मिश्रा से सवाल, बोले- गृहमंत्री बताएं वह महात्मा गांधी के साथ हैं या गोडसे के

MRITYUNJAY CHAUDHARY, Last updated: Tue, 4th Jan 2022, 5:02 PM IST
  • माकपा के मध्य प्रदेश इकाई के सचिव जसविंदर सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बताएं कि वह महात्मा गांधी के साथ हैं या गोडसे के साथ. इसके साथ ही उन्होंने नरोत्तम मिश्रा पर आरोप लगाया कि उनके संरक्षण में ही गोडसे के समर्थक नारेबाजी कर रहे है.
माकपा ने नरोत्तम मिश्रा पर तंज, बोले- गृहमंत्री बताएं वह महात्मा गांधी के साथ हैं या गोडसे के

भोपाल (भाषा). माकपा के मध्य प्रदेश इकाई के सचिव जसविंदर सिंह ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को गाली देने वाले कालीचरण की गिरफ्तारी से संघीय ढांचे का दुखड़ा रोने वाले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा बताएं कि वह तब क्यों खामोश रहते हैं, जब इंदौर के तथाकथित हिन्दू संगठन गोडसे जिंदाबाद के नारे लगाते हुए पुलिस को ज्ञापन देते हैं और वह राष्ट्रपिता के हत्यारे के पक्ष में नारे लगाने के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है.

उन्होंने कहा कि चिंता की बात यह है कि इस तरह के प्रदर्शन उज्जैन, देवास, जबलपुर और ग्वालियर सहित प्रदेश के कई शहरों में किये जाते हैं और ज्ञापन भी दिए जाते हैं, जिसमे गोडसे को महात्मा और कालीचरण को नायक बताया जाता है. जसविंदर सिंह ने सवाल करते हुए कहा कि मिश्रा बताएं कि वह गांधी के साथ हैं या गोडसे के साथ हैं. और यदि गोडसे महात्मा है तो फिर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी क्या हैं?

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उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन के इस रवैये से साफ है, गृह मंत्री को न संविधान की चिंता है और न ही देश के संघीय और धर्मनिरपेक्ष ढांचे की. उनका मकसद सिर्फ संघ के साम्प्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाना है. सरकार वही एजेंडा लागू कर रही है.

जसविंदर सिंह ने आरोप लगाया कि मिश्रा प्रदेश के गृह मंत्री होने के साथ-साथ इंदौर के प्रभारी मंत्री भी हैं. इसलिए गोडसे के समर्थकों को संरक्षण उनके इशारे के बिना संभव नहीं है. वास्तविकता यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री में आरएसएस के नजदीक होने के लिए सांप्रदायिक आग उगलने की होड़ लगी हुई है, जो प्रदेश के साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए खतरनाक है.’’

जसविंदर सिंह ने कहा कि एक ओर साम्प्रदायिक तत्वों को संरक्षण दिया जाता है और दूसरी तरफ सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध की आवाज को कुचलने के लिए शिवराज सरकार बिना चर्चा ऐसे कानून बनाती है, जिसमें आंदोलनकारियों को कुचलने के लिए सजा और आर्थिक दंड के खतरनाक प्रावधान किये जाते हैं. 

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