आदिवासी रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा भोपाल का ये वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन

Shubham Bajpai, Last updated: Sat, 13th Nov 2021, 4:09 PM IST
  • भोपाल में तैयार हो रहा वर्ल्ड क्लास पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन हबीबगंज अब गोंड आदिवासी रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा. इसको लेकर रेल मंत्रालय ने मंजूरी दे दी गै. जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा भी हो जाएगी. इस स्टेशन का उद्घाटन करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल आ रहे हैं. 
आदिवासी रानी कमलापति के नाम से जाना जाएगा भोपाल का ये वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन

भोपाल. राजधानी भोपाल में काफी समय से तैयार हो रहा वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन हबीबगंज पूरा हो गया है. जल्द ही इसका उद्घाटन होना है. इससे पहले मध्य प्रदेश परिवहन विभाग की उपसचिव के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मानते हुए स्टेशन का नाम हबीबगंज से बदलकर गोंड आदिवासी रानी कमलापति स्टेशन कर दिया है. इसको लेकर उपसचिव वंदना शर्मा ने प्रस्ताव भेजा था, जिसको रेलवे ने मंजूरी दे दी है. 

अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की गई. 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने भोपाल पहुंच रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस स्टेशन का उद्घाटन कर सकते हैं.उम्मीद है उसी दिन इस स्टेशन के नए नाम की घोषणा हो जाएगी.

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उपसचिव ने पत्र लिख भेजा था केंद्र प्रस्ताव

हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति के नाम पर रखने का प्रस्ताव परिवहन विभाग की उपसचिव वंदना शर्मा ने केंद्र को बनाकर भेजा था. जिसमें उन्होंने लिखा कि 16वीं सदी में ये क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था, उस वक्त रानी कमलापति जो गोंड राजा सूरज शाह के बेटे निजामशाह की रानी थी. उन्होंने जीवनभर बहादुरी व वीरता से आक्रमणकारियों का सामना किया, उनकी स्मृतियों को सहजने के लिए हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखा जाए.

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बता दें कि रानी कमलापति का विवाह गोंड शासक सूरज सिंह शाह के बेटे निजाम शाह से हुआ था. रानी कमलापति के सौंदर्य के चक्कर में निजाम के भतीजे आलम शाह ने जहर मिलाकर निजाम की हत्या कर दी थी. जिसके बाद कमलापति निजाम का महल छोड़ भोपाल आ गई थी. इस दौरान उन्होंने अपनी पति की मौत का बदला लेने को मोहम्मद खान से दोस्ती कर एक लाख रुपये में आलम शाह की हत्या करने की योजना बनाई थी. वहीं, जब आलम शाह की हत्या के बाद रानी ने मोहम्मद खान को भोपाल का एक हिस्सा दिया था तो उसकी नियत खराब हो गई और उसने रानी के बेटे नवल शाह से युद्ध किया और उसको हराकर भोपाल पर कब्जा कर लिया. उस वक्त रानी की खूबसूरती को लेकर एक कहावत कही जाती थी कि ताल है तो भोपाल ताल और रानी हैं तो कमलापति.

 

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