MP: अब जनता चलाएगी सरकारी अस्पताल, बनेगी जन आरोग्य समिति, सदस्य होंगे आम लोग

Naveen Kumar, Last updated: Fri, 11th Mar 2022, 12:01 PM IST
  • मध्य प्रदेश में उप स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में व्यवस्थाओं को संचालित करने की जिम्मेदारी अब जन आरोग्य समितियों के जिम्मे होगी. जन आरोग्य समितियों में स्थानीय लोगों और जनप्र​तिनिधियों की भागीदारी रहेगी.
फाइल फोटो

भोपाल. मध्य प्रदेश में अब उप स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों को और भी बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की रोगी कल्याण समितियां भंग होगी. स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर आदेश जारी किए हैं. इसके साथ ही अब सीएचसी में व्यवस्था का जिम्मा जन आरोग्य समितियों के पास होगा. जन आरोग्य समितियों में स्थानीय लोगों और जनप्र​तिनिधियों की भागीदारी रहेगी. इन स​मितियों में आम लोगों को शामिल किया जाएगा. ऐसे में सीएचसी में सुविधाओं को विस्तार हो सकेगा और मरीजों को पहले से बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी.

सीएचसी में प्लानिंग और समस्याओं का निवारण प्रशासनिक कंट्रोल से बाहर होगा. इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा, जिसमें जनपद पंचायत सदस्य समिति के अध्यक्ष के अलावा जन आरोग्य समिति में 17 सदस्य शामिल होंगे. यह जन आरोग्य समितियां स्वास्थ्य समिति के अधीन काम करेंगी. जन आरोगय समितियों के गठन के बाद उप स्वास्थ्य केंद्रों पर स्थानीय भागीदारी बढ़ेगी. जन आरोग्य समितियां पीएचसी और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स पर विकास की योजना कर अस्पताल में लागू किया जाएगा. अस्पताल में होने वाली समस्याओं के लिए भी इन्हीं समितियों के जरिए समाधान किया जाएगा.

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जन आरोग्य समितियों में अध्यक्ष पद पर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जिला पंचायत सदस्य या जनपद पंचायत सदस्य होंगे. वहीं, सह अध्यक्ष खंड चिकित्सा अधिकारी (BMO), सदस्य सचिव पीएचसी के इंचार्ज मेडिकल ऑफिसर होंगे. इसके अलावा समितियों में 18 से 20 सदस्य भी शामिल किए जाएंगे. आरोग्य समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल 2 साल का होगा. उप स्वास्थ्य केन्द्र के अन्तर्गत आने वाली अन्य पंचायतों के सरपंच इस समिति के सदस्य होंगे. मुख्यालय स्तरीय सरपंच का 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद आगामी वर्षों के लिए उपस्वास्थ्य केन्द्र के अन्तर्गत आने वाली अन्य पंचायतों के वरिष्ठ सरपंच को अध्यक्ष बनाया जाए. सदस्यों में विभिन्न कार्यालय के कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा. इसके अलावा एक या दो बच्चों के बाद नसबंदी कराने वाले पुरूष बतौर सदस्य शामिल होंगे.

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