MP गजब है: लंगूर की मौत हुई तो निकाली शवयात्रा, 11 हजार लोग मृत्युभोज में शामिल

Smart News Team, Last updated: Tue, 11th Jan 2022, 1:05 PM IST
  • मध्य प्रदेश के राजगढ़ में गांव में लोगों ने एक लंगूर की मौत को यादगार बना दिया. यहां जब एक लंगूर की मौत हुई तो पूरे गांव वालों ने उसका अंतिम संस्कार किया. किसी इंसान की तरह ही हिंदू अंतिम संस्कार किया गया.बंदर की मौत पर पूरा गांव दुखी हो गया. सोमवार को धार्मिक क्रियाओं के तहत गांव के लोगों ने भंडारे का आयोजन किया. 11 हजार लोगों मृत्युभोज में शामिल हुए.
MP गजब है: बंदर की मौत हुई तो निकाली शवयात्रा

भोपाल. जब आप किसी व्यक्ति से प्यार करते हैं वह मर जाता है, तो दुख महसूस करते हैं और पूरे रीति रिवाज से उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं, लेकिन दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो जानवरों को भी अपने परिवार के सदस्य की तरह प्यार करते हैं. उन्हें बच्चे की तरह साथ रखते हैं. लेकिन तकलीफ तब होती जब ये जानवर आपको छोड़कर चले जाते हैं. मध्य प्रदेश के राजगढ़ में गांव में कुछ ऐसा ही हुआ है. यहां लोगों ने एक लंगूर की मौत को यादगार बना दिया. यहां जब एक लंगूर की मौत हुई तो पूरे गांव वालों ने उसका अंतिम संस्कार किया. किसी इंसान की तरह ही हिंदू अंतिम संस्कार किया गया.

लंगूर की मौत पर पूरा गांव दुखी हो गया. सोमवार को धार्मिक क्रियाओं के तहत गांव के लोगों ने भंडारे का आयोजन किया. खास बात यह है कि भंडारे में करीब 11 हज़ार लोगों ने मृत्युभोज करवाया. लंगूर का अंतिम संस्कार 11वां तीर्थ नगरी उज्जैन में विधि विधान से किया गया. गांव वालों का यह कदम वाकई काबिल-ए-तारीफ है.

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12 दिन पहले गांव में आया था बीमार बंदर

जानकारी के मुताबिक गांव के लोगों ने लंगूर की मौत पर दुखी होकर मुंडन भी कराया और 12वीं पर ग्राम डालूपुरा में 5 हजार लोगों ने प्रसादी ली. गांव के लोगों के कहना है कि 12 दिन पहले गांव में एक लंगूर आया था, वह बीमार था. राजगढ़ ले जाकर इलाज कराया गया, लेकिन नहीं बच सका. इसके बाद लंगूर का अंतिम संस्कार किया गया. फिर उसका तीसरा का कार्यक्रम कराया और उसकी अस्थियों को ले जाकर उज्जैन में कार्यक्रम कर शिप्रा नदी में विसर्जित कीं.

बंदर को माना हनुमान का रूप

गांव वालों ने लंगूर की मौत के बाद इंसानों की तरह हिंदू रीति रिवाज से उसका हर एक कार्यक्रम किया. लंगूर की शव यात्रा निकाली गई. गांव के लोगों का कहना है कि इन्हें हम हनुमान जी का रूप मानते हैं, उसमें इंसानी रूप भी देखते हैं. मानव सभ्यता के इतिहास के मद्देनजर ये हमारे पूर्वज भी हैं. स्थानीय लोगों ने हिंदू मान्यता के अनुसार उसकी शव यात्रा बैंड बाजे के साथ निकालकर हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया था.

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