एमपी के कृषि यूनिवर्सिटी ने की इन अनाजों की नई किस्में विकसित, बढ़ेगी किसान की आय

Shubham Bajpai, Last updated: Sun, 16th Jan 2022, 1:35 PM IST
एमपी की जबलपुर में कृषि यूनिवर्सिटी ने कई फसलों की नई किस्में विकसित की है. इन किस्मों को उत्पादन के लिए उपयुक्त केंद्रीय सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी. इन फसलों से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सुनिश्चित होगा और किसान को अधिक आय होगी. इन फसलों में जई, गेहूं, चावल और रामतिल शामिल है.
एमपी के कृषि यूनिवर्सिटी ने की इन अनाजों की नई किस्में विकसित, बढ़ेगी किसान की आय (फाइल फोटो)

जबलपुर (भाषा). एमपी के जबलपुर में शासकीय कृषि यूनिवर्सिटी लगातार किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम कर रही है. इस बीच यूनिवर्सिटी ने जई, चावल, रामतिल और गेंहू फसलों की नई किस्में विकसित की हैं. यूनिवर्सिटी का दावा है कि इन किस्मों से न सिर्फ उत्पादन बढ़ा है बल्कि इससे किसानों की आय भी बढ़ेगी.

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पी के बिसेन ने कहा कि जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय (जेएनकेवीवी) ने जई और गेहूं की दो किस्में, चावल की एक और रामतिल (नाइजर) की तीन किस्में विकसित की हैं. इन किस्मों को केंद्र द्वारा उत्पादन के लिए उपयुक्त होने के रुप में अधिसूचित किया गया है.

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उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इस संबंध में तीन जनवरी को गजट अधिसूचना जारी की है.

बिसेन ने कहा कि इन नई किस्मों के बीज शीघ्र ही किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे. इससे फसलों का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन सुनिश्चित होगा और किसान को अधिक आय होगी.

जेएनकेवीवी में अनुसंधान सेवाओं के निदेशक डॉ जी के कौटू ने कहा कि नई किस्मों का तीन साल तक परीक्षण विभिन्न कृषि जलवायु में विभिन्न राज्यों में किया गया.

उन्होंने कहा कि अनाज की उच्च उपज, रोगों का प्रतिरोध, अनाज की अच्छी गुणवत्ता और कम अवधि की फसल जैसे कई वांछनीय गुणों का संयोजन इन नई किस्मों में है.

उन्होंने कहा कि जई के दो नई किस्मों में से जेओ 05-304 महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उत्पादन के लिए उपयुक्त है, जबकि जेओ 10-506 का उत्पादन ओडिशा, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र, असम और मणिपुर में किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि गेहूं की नई किस्में- एमपी 1323 और एमपी 1358 और चावल जेआर 10 मध्य प्रदेश के विशिष्ट क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं.

कौटू ने कहा कि नाइजर (रामतील) की तीन किस्में - जेएनएस 521, जेएनएस 2015-9 और जेएनएस 2016-1115 मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सिंचित और असिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं.

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