नंगे बदन कांटों की सेज पर लेट जाते हैं लोग, खुद को बताते हैं पांडवों का वंशज
- मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में रज्जड़ समाज के लोग बहन की विदाई के लिए कांटों की सेज पर नंगे बदन लेट जाते हैं. वे खुद को पांडवों का वंशज बताते हैं और बरसों से इस परंपरा का पालन कर रहे हैं.

भोपाल: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में रज्जड़ समाज के लोग खुद को पांडवों का वंशज बताकर अनोखी परंपरा निभा रहे हैं. ये लोग बहन की विदाई के लिए नंगे बदन कांटों की सेज पर लेट जाते हैं. ये परंपरा कई पीढ़ियों से निभाई जा रही है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अगहन मास यानी मार्गशीर्ष माह में इसका आयोजन होता है. इस पर्व का नाम भोंडाई है.
पर्व से कुछ दिन पहले रज्जड़ समाज के लोग जंगल से कांटे वाली झाड़ियां तोड़कर लाते हैं. उन्हें सुखाया जाता है. फिर उसे सेज की तरह सजाया जाता है. फिर लोग पूजा-पाठ करते हैं. उसके बाद नाचते-गाते हुए नंगे बदन कांटों पर लेट जाते हैं.
मध्य प्रदेश के बैतूल में स्वयं को पांडव के वंशज बताने वाले रज्जड़ समाज के लोग कांटों की सेज पर लोट कर नाचते-गाते दिखे। उनके अनुसार यह उनकी परंपरा का हिस्सा है। गुरुवार की रात जिला मुख्यालय के पास सेहरा में इसका आयोजन किया गया है। pic.twitter.com/1BmIqxbmKS
— Hindustan (@Live_Hindustan) December 17, 2021
कंटीली झाड़ियों पर लेटने के बाद भी उन्हें दर्द का एहसास नहीं होता. वे खुशी-खुशी उठते हैं और फिर से नाचने लग जाते हैं. छोटा हो या बड़ा, जवान हो या बूढ़ा, इस समाज का हर व्यक्ति इस पर्व में भाग लेता है और कंटीली झाड़ियों पर लेटता है. यह पर्व बैतूल में आठनेर के पास बिजासन और सेहरा गांव में मनाया जा जाता है.
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ये है मान्यता-
रज्जड़ समाज के लोगों के मुताबिक भोंडाई पांडवों की मुंहबोली बहन थीं. पांडव एक बार जब इस जगह पहुंचे थे, तो उन्होंने एक झोपड़ी में जाकर पीने के लिए पानी मांगा था. वहां मौजूद व्यक्ति ने पानी के बदले पांडवों से उनकी बहन की शादी कराने का प्रस्ताव रखा.
पांडवों ने भोंडाई को अपनी बहन बताकर उसकी शादी करवा दी. जब उस व्यक्ति को यकीन नहीं हुआ, तो पांडवों ने कांटों की सेज पर लेटकर साबित किया कि भोंडाई उनकी बहन है. रज्जड़ समाज के लोग खुद को पांडवों का वंशज मानते हैं. वे बरसों से ये परंपरा निभा रहे हैं.
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