भोपाल अग्निकांड: राशिद ने बचाई 7 बच्चों की जान, खुद का भतीजा झुलसकर मर गया
- भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में सोमवार रात लगी भीषण आग के दौरान राशिद खान ने जान पर खेलकर सात बच्चों की जान बचाई लेकिन इस दौरान उनका भतीजा झुलसकर मर गया. आरोप है कि इस अस्पताल का 2004 के बाद से फॉयर ऑडिट नहीं कराया गया.
भोपाल: भगवान ना करे कि लेकिन कभी आपके बच्चे किसी मुसीबत में हो तो आप सबसे पहले क्या करेंगे? आप कहेंगे ये कैसा सवाल है? जाहिर सी बात है हम अपने बच्चे को पहले बचाएंगे. कमला नेहरू अस्पताल में हुए भयावह अग्निकांड में कुछ ऐसा देखने को मिला जिसे पढ़कर आपकी आंखें भर आएगी. राशिद खान नाम के एक शख्स ने अपने भतीजे को छोड़कर अपनी जान की परवाह किए बिना आठ बच्चों की जान बचाई लेकिन राशिद 12 साल के इंतजार के बाद जन्में अपने भतीजे को नहीं बचा सके. भोपाल के बड़ा बाग कब्रिस्तान में नम आंखों से अपने भतीजे को दफनाने आए राशिद खान ने कहा- आगजनी के बाद चारों तरह हाहाकार के बीच मैं हॉस्पिटल स्टॉफ के साथ बच्चों को बचाने के लिए तार काटने में लग गया. उन्होंने कहा- मेरे दिमाग में यही ख्याल आ रहा था कि मैं दूसरों के बच्चों की जान बचाऊंगा तो अल्लाह मेरे भतीजे की जान बचाएगा.
इस अग्निकांड में मरने वाले बच्चे के पिता रईस कुरैशी की पिछले साल ही शादी हुई थी और ये उनका पहला बच्चा था. रईस का कहना है कि उनकी पत्नी को अबतक अपने बेटे की मौत की जानकारी नहीं है. मॉरचरी में राशिद खान के भतीजे के बगल में एक और नवजात बच्चे का शव है जो मुश्किल से एक दिन का है जिसके पिता अंकुश यादव हैं. अंकुश और उनकी पत्नी रचना सोमवार को ही माता-पिता बने थे. रचना ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था जिनमें से उनकी एक दिन की बेटी जलकर मर गई और दूसरा बच्चा अस्पताल में जिंदगी और मौत से लड़ रहा है.
आधिकारिक रूप से इस हादसे में पांच बच्चों की मौत हुई लेकिन करीब 7 से 8 परिवारों कहना है कि उनके बच्चे इस हादसे में मारे गए. पत्रकार काशिफ कलवी के मुताबिक जिस बिल्डिंग में आग लगी उसका फायर ऑडिट साल 2004 के बाद से कराया ही नहीं गया.
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