रैपिड किट की तुलना में RT-PCR जांच है बेहतर, दोनों के संक्रमित मरीजों में 4 फीसदी का अंतर

Haimendra Singh, Last updated: Fri, 14th Jan 2022, 11:30 AM IST
  • भोपाल में डॉक्टरों ने कहा है कि आरटी पीसीआर जांच की तुलना में रैपिड किट से कोरोना जांच करने पर संक्रमित मरीजों का कम पता चल पाता है. उनका कहा है कि यदि आरटी पीसीआर से कोविड जांच होती है तो राज्य में रोजाना 500 अधिक मरीजों का पता लग सकता है.
कोविड जांच रैपिड किट.

भोपाल. मध्य प्रदेश में रैपिड किट से कोविड जांच किए गए सैंपल में महज 2 फीसदी मामले ही संक्रमित पाए गए है, तो वहीं आरटीपीसीआर( RT-PCR) में संक्रमितों की सख्या 6 फीसदी से अधिक पाए जा रही है. डॉक्टरों के अनुसार, कोविड के हल्ले लक्ष्ण होने के कारण रैपिड टेस्ट किट में बिमारी का पता नहीं लग पा रहा है. इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 30 नवंबर को समीक्षा बैठक में सभी सेंटरों को आरटीपीसीआर से कोविड जांच करने का आदेश दिया था, लेकिन अभी भी रोजाना 10 हजार जांच रैपिड किट से की जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सब जांच आरटीपीसीआर से होती है तो हर दिन मरीजों की सख्या में 500 संक्रमित का इजाफा हो सकता है.

भोपाल एम्स के माइक्रोबायोलाजिस्ट एवं पूर्व निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि रैपिड किट में सेंसिटिविटी कम होती होती है. इस कारण कम पाजिटिव आते हैं. इसीलिए यह दिशानिर्देश हैं कि लक्षण होने के बाद अगर रैपिड एंटीजन की रिपोर्ट निगेटिव आती है तो भी आरटीपीसीआर करना चाहिए. रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने के करीब एक घंटे पहले तक भाप नहीं लेना चाहिए. ऐसा करने से नाक में मौजूद वायरस कम हो जाते है. जिससे रिपोर्ट नेगेटिव आने की आंशका बनी रहती है.

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रैपिड किट से संक्रमण जांच की क्षमता कम

रैपिड जांच से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि वायरस की मात्रा कम होने पर रिपोर्ट नेगेटिव आती है. जिसके बाद लोगों अपने आप को नेगेटिव समझकर घूमना शुरू कर देते है और धीरे-धीरे और भी लोग कोरोना संक्रमित हो जाते हैं. डाक्टरों की सलाह है कि यदि आपको सर्दी, खासी, बुखार या अन्य कोई परेशानी हो रही है तो अधिकृत केंद्रों पर कोविड की जांच जरुर करा ले.

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