आज होगी विष्णु और एकादशी माता की पूजा, जानें उत्पन्ना एकादशी पूजन विधि और पारण का समय

Pallawi Kumari, Last updated: Tue, 30th Nov 2021, 9:31 AM IST
  • मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. आज भगवान विष्णु के साथ माता एकादशी की भी पूजा की जाएगी. आज ही के दिन एकादशी माता विष्णु जी के शरीर से उनकी प्राण रक्षा के लिए उत्पन्ना हुई थी. आइये जानते हैं आज कैसे करें उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम, पूजा विधि ,मुहूर्त और पारण का समय.
उत्पन्ना एकादशी व्रत

हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि विष्णु भगवान की पूजा के लिए जाना जाता है. अगहन के महीने में वैसे भी विष्णु भगवान की पूजा करने से कई लाभ मिलते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी व्रत होता है. आज मंगलवार 30 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत व पूजन किया जाएगा. वैसे तो हर महीने दो एकादशी होती है. लेकिन सभी एकादशियों में उत्पन्ना एकादशी का महत्व खास होता है. 

इस दिन एकादशी माता की उत्पति हुई और इस दिन से एकादशी व्रत व पूजा की शुरुआत हुई. उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है. आइये जानते हैं आज कैसे करें उत्पन्ना एकादशी पूजा और इसकी कथा. साथ ही जानिए व्रत के बाद क्या होगा पारण का समय.

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उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि-

आज भगवान विष्णु और एकादशी माता के साथ ही भगवान कृष्णा की भी पूजा की जाती है. उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान कृष्ण की सोलह वस्तुओं जैसे धूप, दीपक, नैवेद्य आदि से पूजा करनी चाहिए और रात में दीप दान करना चाहिए. सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं, फिर घर के मंदिर में दीपक जलाएं. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें और फूल तुलसी चढाएं. फिर प्रसाद चढ़ाएं, ध्यान रहे भगवान को केवल सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं. धूप दीप जलाएं और विष्णु भगवान की आरती करें. इस दिन व्रत रखें और अगले दिन पारण करें.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व-देवी एकादशी श्री हरि का ही शक्ति रूप हैं, इसलिए इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा के साथ एकादशी माता की भी पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी उत्पन्न हुई और उसने विष्णु की रक्षा करते हुए राक्षस मुर का वध किया था. इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से मनुष्यों के पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. साथ ही उत्पन्ना एकादशी आरोग्य, संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है.

उत्पन्ना एकादशी तिथि और पूजा मुहूर्त -

उत्पन्ना एकादशी तिथि: 30 नवंबर 2021, मंगलवार सुबह 04 बजकर 13 मिनट से शुरू 

उत्पन्ना एकादशी समापन: 01 दिसंबर 2021, बुधवार मध्यरात्रि 02 बजकर 13 मिनट

पारण का समय-01 दिसंबर - सुबह 07:34 से 09:02 तक

उत्पन्ना एकादशी व्रक से मिलता है ये फल-

भगवान श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए हर माह एकादशी व्रत किया जाता है. वहीं मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी व्रत से मन शुद्ध होता है और शरीर स्वस्थ रहता है. इस व्रत को करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. इस व्रत के प्रभाव से भगवान श्री हरि विष्णु के परम धाम की प्राप्ति होती है. साथ ही यह व्रत संतान प्राप्ति और अक्षम बने रहने के लिए भी किया जाता है.

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