आरक्षण, पेंशन की मांग को लेकर शहीद परिसर पर देहरादून राज्य आंदोलनकारी समिति का प्रदर्शन

Shubham Bajpai, Last updated: Fri, 1st Oct 2021, 12:57 PM IST
  • काफी समय से पूरी न हो रही मांगों को लेकर राज्य आंदोलनकारी के कुछ सदस्य मांगों को पूरी करवाने के लिए शहीद परिसर की छत पर चढ़ गए. वहीं, एक सदस्य पेड़ पर भी चढ़ गया. इनकी मांग है कि इन्हें सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण, कार्ड धारकों को एक समान पेंशन और आश्रित पेंशन में बच्चों को भी शामिल किया जाए.
मांगे पूरी न होने पर शहीद परिसर की छत और पेड़ पर चढ़े राज्य आंदोलनकारी के सदस्य

देहरादून. देहरादून कलेक्ट्रेट स्थित शहीद परिसर में राज्य आंदोलनकारी के कुछ सदस्य परिसर की छत पर व कुछ सदस्य पेड़ पर चढ़ गए. सदस्यों का कहना है कि काफी समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार और प्रशासन से कह रहे हैं लेकिन सभी अनसुना कर रहे हैं. जिसके चलते अब हम इस तरह पेड़ और छत पर चढ़कर अपना विरोध जता रहे हैं. जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी हम नीचे नहीं उतरेंगे. वहीं, राज्य आंदोलनकारी के साथ अन्य राज्य आंदोलनकारी भी परिसर में धरना दे रहे हैं. इस दौरान परिसर में भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है. 

इन मांगों को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन

राज्य आंदोलनकारियों की मांग है कि उनको सरकारी नौकरी में 10 फीसदी का क्षैतिज आरक्षण दिया जाए. कार्ड धारकों को पेंशन दी जाए. सभी को सरकार समान पेंशन दे, अभी किसी को 15 हजार, पांच हजार और 3100 रुपये पेंशन दी जा रही है. साथ ही आश्रित पेंशन में जो आश्रित शब्द जोड़ा उसमें केवल पति और पत्नी शामिल हैं इसमें बच्चों को भी शामिल किया जाना चाहिए.

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आंदोलनकारियों से जारी बातचीत

सिटी मजिस्ट्रेट कुसुम चौहान का कहना है कि अभी विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत की जा रही है. इस दौरान उनकी बात शासन तक पहुंचाने का भी आश्वासन दिया गया है. वहीं, विरोध प्रदर्शन के चलते पूरे परिसर में काफी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद है.

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2 अक्टूबर को परिसर में मुजफ्फरनगर कांड की बरसी एकत्रित होंगे सभी सदस्य

आंदोलनकारी भूमा रावत ने बताया कि हमारी मांगों पर सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. कोई भी काम आगे नहीं हो रहा है. हम सभी 2 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर कांड की बरसी पर परिसर में एकजुट होंगे. सरकार राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर ध्यान नहीं दे रही है. हमारी मांगों को लगातार अनसुना किया जा रहा है जिसके चलते यह रास्ता अपनाया गया है.

 

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