Uttarakhand Result से पहले कैलाश विजयवर्गीय की एंट्री से कांग्रेस में खलबली, जानें क्यों?

Naveen Kumar, Last updated: Tue, 8th Mar 2022, 5:57 PM IST
  • उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम से भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को रणनीति तैयार करने के लिए देहरादून भेजा है. इसके बाद कांग्रेस में भी हलचल बढ़ गई है.
कैलाश विजयवर्गीय की एंट्री से कांग्रेस में मची खलबली

देहरादून. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम से पहले भाजपा और कांग्रेस रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं. भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मतगणना से पहले रणनीति तैयार करने के लिए देहरादून भेजा है. वहीं, कांग्रेस में भी अब हलचल बढ़ गई है. देहरादून में पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बीच हुई मंत्रणा के बाद सबकी निगाहें अब इस बात पर है कि दोनों नेताओं की जुगलबंदी प्रदेश की राजनीति में क्या नया गुल खिलाएगी. बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री पद से विदा होने के बाद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की राजनीतिक सक्रियता इतनी नहीं दिखी, लेकिन मतगणना से पहले उनकी सक्रियता ने कांग्रेस की भी चिंता बढ़ा दी है.

बता दें कि रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी देहरादून पहुंचे. यहां उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करने के बाद निशंक से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. दोनों नेताओं के बीच मंत्रणा हुई, जिसके बाद सियासी गलियारों में ही नहीं, कांग्रेस में भी हलचल शुरू हो गई. इसकी एक वजह वर्ष 2016 में कांग्रेस में हुई सेंधमारी भी है, जिसका मुख्य रणनीतिकार विजयवर्गीय को ही माना जाता है. इसी कारण पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत अन्य कांग्रेसी नेता विजयवर्गीय पर हमलावर है. 

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सियासी गलियारों में मतगणना से पहले निशंक की सक्रियता को केंद्रीय नेतृत्व के मिशन के तौर पर भी देखा जा रहा है. हालांकि, विजयवर्गीय ऐसी किसी भी संभावना से साफ इनकार कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है. लेकिन, भाजपा के लिए उत्तराखंड में बहुमत हासिल करना इतना आसान नहीं होगा. बता दें कि डॉ. निशंक उत्तराखंड की राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं. सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से उनका संपर्क है. बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में यदि पार्टी को निर्दलीय के समर्थन की आवश्यकता होगी तो प्रदेश के कुछ प्रमुख नेताओं में से निशंक भी सूत्रधार की भूमिका निभा सकते हैं.

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