किसान आंदोलन के समर्थन में उत्तराखंड के 48 वर्षीय किसान नंगे पांव दिल्ली रवाना
- इस किसान का नाम सतपाल सिंह ठुकराल है. गाजीपुर बॉर्डर के लिए नंगे पांव निकलने वाले इस 48 वर्षीय किसान का कहना है कि मैं नए कृषि कानूनों के खिलाफ और किसानों के आंदोलन के समर्थन में दिल्ली में गाजीपुर सीमा के लिए नंगे पांव जा रहा हूं. यह कानून देश के किसानों के खिलाफ है.
देहरादून. देश के कई हिस्सों में अपनी मांगों के समर्थन में किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. किसान आंदोलन की आग उत्तराखंड तक फैल चुकी है. इस बीत रुद्रपुर के रहने वाले 48 वर्षीय किसान दिल्ली के गाजीपुर बार्डर के लिए नंगे पांव निकल पड़े. दरअसल, 48 वर्षीय यह किसान प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में गाजीपुर बॉर्डर के लिए निकले हैं. गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने के बाद वह आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को भी श्रद्धांजलि देंगे.
गाजीपुर बॉर्डर के लिए नंगे पांव निकलने वाले इस 48 वर्षीय किसान का कहना है कि मैं नए कृषि कानूनों के खिलाफ और किसानों के आंदोलन के समर्थन में दिल्ली में गाजीपुर सीमा के लिए नंगे पांव जा रहा हूं. यह कानून देश के किसानों के खिलाफ है. उन्होंने आगे कहा कि मैंने पिछले 11 दिनों से खाना छोड़ दिया है. मैंने यह प्रतिज्ञा की है कि जब तक किसानों का यह आंदोलन खत्म नहीं हो जाएगा तब तक मैं नां तो जूते पहनूंगा और नां ही खाना खाउंगा. इस दौरान महज कुछ फल खाउंगा. इस किसान का नाम सतपाल सिंह ठुकराल है. उन्होंने कहा कि दिल्ली पहुंचने के बाद वह एक दिन किसानों के समर्थन में गाजीपुर बॉर्डर पर रहेंगे. अगले दिन वह दिल्ली के शीशगंज गुरुद्वारे के लिए रवाना होंगे और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.
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सतपाल सिंह ठुकराल ने कहा कि दिल्ली पहुंचने के बाद मैं गाजीपुर बॉर्डर पर रहूंगा और किसानों के धरने में भाग लूंगा. गाजीपुर बार्डर के बाद मैं शीशगंज गुरुद्वारे जाकर पूजा अर्चना करूंगा और उन किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी जान गवाई है.
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