Toofan Review: हिंदू लड़की के लिए गुंडे से बॉक्सर बने अजीज अली की प्रेम कथा
- जब कोई आपसे प्यार करने वाला आपके लिए सपना देखता है और आप उसे पूरा करने के लिए ठान लें तो बॉक्सिंग क्या, दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं है, बस यही एक लाइन स्टोरी है अमेजन पर रिलीज हुई फरहान अख्तर, मृणाल ठाकुर और परेश रावल की फिल्म तूफान की. थोड़ा ज्यादा समझना चाहते हैं तो एक बार हमारा रिव्यू पढ़ लीजिए.

बॉक्सिंग आसान नहीं है, बिल्कुल भी आसान नहीं है लेकिन जब किसी के सपने को पूरा करने के लिए इंसान मन में ठान ले तो बॉक्सिंग क्या, दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं है, बस यही एक लाइन स्टोरी है अमेजन पर रिलीज हुई फरहान अख्तर, मृणाल ठाकुर और परेश रावल की फिल्म तूफान की. यूं तो फिल्म मुंबई के डोंगरी इलाके से शुरू होकर दिल्ली नेशनल बॉक्सिंग चेंपियनशिप पर खत्न हो जाती है लेकिन इसके बीच की स्टोरी किसी प्रेरणा से कम नहीं है. हालांकि, फिल्म में मसाला भी जरूर है लेकिन किसी चाहने वाले के लिए उसके सपने को खुद देखने लग जाना और उसे पूरा करना का जज्बा जो इस फिल्म में देखने को मिला वो शायद बॉलीवुड में थोड़ा नया जरूर है. चलिए कहानी की ओर बढ़ते हैं.
जैसा ऊपर बताया कि फिल्म की कहानी मुंबई के डोंगरी इलाके से शुरू होती है जहां अजीज अली (फरहान अख्तर ) एक लोकल गुंडे के लिए काम करता है. अजीज अली का काम है, लोगों से वसूली करना, उन्हें डराना धमकाना. शुरुआत देखकर शायद आपको भी लगे कि फिल्म में फिर बॉक्सिंग कहा हैं तो इंतजार कीजिए.. पिक्चर अभी पूरी बाकी है मेरे दोस्त... अजीज अली जो एक गली का गुंडा है, वो एक सरकारी डॉक्टर अनन्या (मृणाल ठाकुर) के पास अपनी चोटों के इलाज को जाता है. पहली नजर में डॉक्टर अजीज को एक मवाली की तरह समझती है. कहीं न कहीं अजीज को ये अच्छा नहीं लगता.
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दूसरी ओर अजीज का एक बड़ी उम्र का दोस्त लोकल स्तर पर बॉक्सिंग सिखाता है, जहां एक बार अजीज को भी दम दिखाने का मौका मिल जाता है. यहीं से फिल्म बॉक्सिंग का रुख पकड़ती है. नया-नया बॉक्सर बन रहा अजीज, अब डॉक्टर अनन्या को अपना बदलावा दिखाना चाहता है. इसी दौरान उसकी मुलाकात बॉक्सिंग के नामी कोच नाना प्रभु ( परेश रावल) से होती है. नाना प्रभु जो एक बेहद शानदार कोच हैं लेकिन मुस्लिम लोगों से दूरी बनाकर रखते हैं और ऐसे में अजीज को शुरू में रिजेक्ट करते हैं. हालांकि, कुछ ही दिनों में अजीज की जी तोड़ मेहनत देखकर आखिरकार उनका दिल पिघल जाता है और वे अजीज तो ट्रेंड करना शुरू कर देते हैं. दूसरी ओर अजीज और डॉक्टर अनन्या की प्रेम कहानी परवान चढ़ने लगती है. अनन्या अजीज से वादा लेती है कि वह गुंडागर्दी छोड़कर एक नामी बॉक्सर बने और बस यहीं से फिल्म की असली कहानी शुरू हो जाती है.
डॉक्टर अनन्या जो बॉक्सिंग कोच नाना प्रभु की बेटी भी है लेकिन अजीज अली इस बात से अंजान, उससे पूरी तरह दिल दे बैठता है. समय आता है स्टेट चैंपियनशिप का और नाना की कोचिंग के गुर से वह आखिरकार उस टाइटल को अपने नाम बनाने में कामयाब हो जाता है और उसे बॉक्सिंग के तूफान की खिताब दिया जाता है. हालांकि, फाइट की जीत का जश्न उस समय गम में बदल जाता है कि जब कोच नाना को उनकी बेटी और अजीज अली की प्रेम कहानी का पता चलता है. कोच नाना गुस्से में अजीज से नाता तोड़ लेते हैं तो उनकी बेटी अनन्या अपना घर छोड़कर अजीज अली के साथ रहने चली आती है.
हिंदू-मुस्लिम बिना शादी एक साथ रहने पर समाज सवाल करता है तो प्रेमी जोड़ा रहने के लिए एक घर का इंतजाम करना शुरू कर देता है. लेकिन कहते हैं ना कि बम्बई में सब मिलेगा मगर घर नहीं, ऐसा ही कुछ दोनों के साथ होता है. जहां मिलता है वहां इतना महंगा होता है कि दोनों उतने पैसों का इंतजाम नहीं कर सकते. इसी दौरान एक फाइट में अजीज अली को हारने के लिए अच्छे-खासे पैसे का ऑफर मिलता है जो वह लालच में आकर स्वीकार लेता है लेकिन यही उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित हो जाती है. बॉक्सिंग फेडरेशन अजीज पर पांच साल का प्रतिंबध लगा देता है जिसके बाद लगता है कि जैसे फिल्म यही खत्म हो जाएगी. लेकिन नहीं.... पिक्चर अभी और भी बाकी है मेरे दोस्त.
जहां अजीज अली का बॉक्सिंग करियर पांच साल के लिए खत्म होता है तो वहीं वह अपनी डॉक्टर प्रेमिका से कोर्ट मैरिज कर अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश करता है. दोनों के एक बेटी भी पैदा होती है. अजीज अली घर में आर्थिक मदद के लिए टैक्सी चलाने का काम शुरू करता है और सालों में धीरे-धीरे अपनी ट्रैवल एजेंसी बना लेता है. इसी दौरान अचानक बॉक्सिंग फेडरेशन से उसका बैन खत्म करने का लेटर आता है तो अनन्या जिसके लिए वह बॉक्सर बना था, वो फिर जिद करती है कि अजीज एक बार फिर तूफान की तरह बॉक्सिंग रिंग में कूद जाए. इसके बाद अचानक कुछ ऐसा होता है कि आप भी देखकर चौंक जाएंगे.
खैर फिल्म के बारे में लिखने को काफी कुछ है लेकिन इससे ज्यादा विस्तार में बताएंगे तो आप देखने का मजा नहीं ले पाएंगे. इसलिए सलाह है कि रिव्यू पढ़ने के बाद आप ये फिल्म जरूर देख सकते हैं. फिल्म में बॉक्सिंग और लव स्टोरी के साथ धार्मिक भेदभाव जैसे मुद्दों को भी डायरेक्टर राकेश ओम प्रकाश महरा ने लपेटने की कोशिश की है. फिल्म करीब ढाई घंटे की है, इसलिए कई बार थोड़ी लंबी भी लगती है, यानी कई सीन काटे जा सकते थे. लेकिन ओवरऑल फिल्म देखने लायक है और फरहान अख्तर, मृणाल ठाकुर और परेश रावल की एक्टिंग शानदार है. फिल्म में छोटे रोले के लिए ही सही लेकिन एक्टर विजय राज ने भी अच्छा किरदार निभाया है. ओटीटी अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज इस फिल्म को हम पांच में साढ़े तीन स्टार देते हैं. अब देखते हैं, फिल्म आपको कितना पसंद आती है.
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